________________ देविंदत्थओ बावत्तरिकलापडिया उ देवा हवंति सव्वे वि / भवसंकमणे तेसिं पडिवाओ होइ नायव्वो // 248 / / कल्लाणफलविवागा सच्छंदविउव्वियाभरणधारी / आभरण-वसणरहिया हवंति साभावियसरीरा // 249 // 'वत्तुलसरिसवरूवा देवा एक्कम्मि ठिइविसेसम्मि। पच्चग्गहीणमहिया' ओगाहण-वण्णपरिणामाः // 250 // किण्हा नीला लोहिय हालिद्दा सुक्किला विरायंति / पचसए उविद्धा पासाया तेसु कप्पेसु // 251 // तत्थाऽऽसणा बहुविहा, सयणिज्जा य मणिभतिसयचित्ता।। विरइयवित्थडदूसा रयणामयदामऽलंकारा // 252 // 'छव्वीस जोयणसया पुढवोणं ताण होइ बाहल्लं / सणंकुमार-माहिदे रयणविचित्ता य सा पुढवी // 253 // "तत्थ विमाण बहुविहा पासाया य मणिवेइयारम्मा / वेरुलियथूभियागा रयणामयदामऽलंकारा // 254 // तत्थ य नीला लोहिय हालिद्दा सुक्किला विरायति / छ च्च सए उविद्धा पासाया तेसु कप्पेसु // 255 // तत्थाऽऽसणा बहुविहा, सयणिज्जा य मणिभत्तिसयचित्ता। विरइयवित्थडदूसा, रयणामयदामऽलंकारा // 256 // 1. बहुतुल० सं० हं० // 2. ०महिमा सा० // 3. उग्गाहण० प्र० // 4. परिमाणा प्र० सा० // 5. ०डभूसा प्र० हं० सा० // 6. 253 गाथातः 272 पर्यन्ता गाथाः सर्वेष्वप्यादर्शेषु अव्यवस्थिता एव वर्तन्ते, तथापि तद्गतान् पाठभेदानवलोक्य, सम्यगर्थसङ्गति चानुविचिन्त्य ता अत्र व्यवस्थिततया स्थापिताः सन्ति // 7. इयं गाया सर्वास्वपि प्रतिषु नास्ति / 8. 255 गायोतरार्वत आरभ्य 261 पर्यन्ता गाथाः संह० न सन्ति /