________________ देविदत्थओ सत्तण्हं थोवाणं पुण्णाणं पुण्णयंदसरिसमुहे' ! / ऊसासो देवाणं जहन्नमाउं धरेताणं / / 230 / / जइसागरोवमाई जस्स ठिई तत्तिएहिं पक्खेहिं / ऊसासो देवाणं, वाससहस्सेहिं आहारो // 231 // आहारो ऊसासो एसो मे वन्निओ समासेणं / . .. सुहुमंतरा य नाहिसि सुंदरि ! अचिरेण कालेण / / 232 // [वेमाणियदेवाणं ओहिनाणविसओ ] एएसिं देवाणं विसओ ओहिस्स होइ जो जस्स / तं सुंदरि ! वण्णे हं अहक्कम आणुपुव्वोए // 233 / / सक्कीसाणा पढमं दोच्चं च सणंकुमार-माहिंदा / तच्चं च बंभ-लंतग सुक्क-सहस्सारय चउत्थिं // 234 / / आणय-पाणयकप्पे देवा पासंति पंचमि पुढवि / तं चेव आरण-ऽच्चुय ओहिनाणेण पासंति // 235 / / छट्ठि हिदिम-मज्झिमगेवेज्जा सत्तमि च उवरिल्ला / संभिन्नलोगनालिं पासंति अणुत्तरा देवा // 236 // संखेज्जजोयणा खलु देवाणं अद्धसागरे ऊणे / तेण परमसंखेजा जहन्नयं पन्नवीसं तु // 237 // तेण परमसंखेज्जा तिरियं दोवा य सागरा चेव / बहुययरं उवरिमया, उड्ढं तु सकप्पथूभाई // 238 // 1. °ण्णइंदस प्र० हं० / °ण्णइंदुस° सा० // 2. °वाणं ओही उ विसेसओ ऊ जो जस्स प्र० सा० / वाणं ओहिस्स विसेसो उ जो जस्स हं०॥