________________ देविंदत्थओ नक्खत्त-तारयाणं अवट्ठिया मंडला मुणेयव्वा / ते वि य पयाहिणावत्तमेव मेरुं अणुचरंति // 137 // रयणियर-दिणयराणं उड्ढमहे एव संकमो नत्थि / मंडलसंकमणं पुण अभितर बाहिरं तिरियं // 138 // रयणियर-दिणयराणं नक्खत्ताणं च महगहाणं च / चारविसेसेण भवे सुह-दुक्खविही मणुस्साणं / / 139 / / तेसिं पविसंताणं तावक्खेत्तं तु वड्ढए नियमा / तेणेव' कमेण पुणो परिहायइ निक्खमिंताणं / / 140 / / तेसिं कलंबुयापुप्फसंठिया होंति तावखेत्तमुहा। अंतो य संकुला बाहिं वित्थडा चंद-सूराणं // 141 / / [चंदस्स हाणी वड्ढी य] केणं वड्ढइ चंदो ? परिहाणीश्वा विकेण चंदस्स?। कालो वा जोण्हा वा केणऽणुभावेण चंदस्स ? // 142 // किण्हं राहुविमाणं निच्चं चंदेण होइ अविरहियं / चउरंगुलमप्पत्तं हिट्ठा चंदस्स * तं चरइ // 143 // बावढि बावढेि दिवसे दिवसे तु सुक्कपक्खस्स / जं परिवड्ढइ चंदो, खवेइ तं चेव कालेणं // 144 // पन्नरसइभागेण य चंदं पन्नरसमेव संकमइ / पन्नरसइभागेण य पुणो वि तं चेव पक्कमइ // 145 // 1. व य क्कमेणं परि० प्र० सा० // 2. °हाणी केण होइ चंदस्य ? प्र० सा० // 3. चंकमई प्र० हं० सा० / तं वरइ सू० // 4. "वऽइक्कमइ हं० / °व वक्कमइ सू० //