________________ 65] नंदिसुत्ते तित्थयरावलिआइ णाणवररयणदिप्पंतकंतवेरुलियविमलचूलस्स / वंदामि विणयपणओ संघमहामंदरगिरिस्स // 17 // ' [छहिं कुलयं] [सुत्तं 3. तित्थयरावली] 63. वंदे उसभं अजिअं संभवमभिणंदणं सुमति सुप्पभ सुपासं / ससि पुप्फदंत सीयल सिजसं वासुपुजं च // 18 // विमलमणंतइ धम्म संतिं कुंथु अरं च मल्लिं च / मुणिसुव्वय णमि णेमी पासं तह वर्द्धमाणं च // 19 // [जुम्म] . [सुत्तं 4. गणहरावली] 64. पंढमित्थ इंदभूई बीए पुण होइ अग्गिभूइ ति / . तइए य वाउभूई तँओ वियत्ते सुहम्मे य // 20 // मंडिय-मोरियपुत्ते अकंपिए चेव अयलभाया य / मेयजे य पभासे य गणहरा हुँति वीरस्स // 21 // [जुम्मं] [सुत्तं 5. जिणपतयणत्थुई] 5. जेव्वुइपहसासणयं जयइ सया सव्वभावदेसणयं / कुसमयमयणासणयं जिणिंदवरवीरसासणयं // 22 // 1. सप्तदशगाथानन्तरं चूर्णिकृदादिभिरव्याख्यातं गाथायुगलमिदं सर्वास्वपि सूत्रप्रतिषूपलभ्यते गुणरयणुजलकडयं सीलसुयंधतवमंडिउद्देसं / सुयबारसंगसिहरं संघमहामंदरं वंदे // नगर रह चक्क पउमे चंदे सूरे समुह मेरुम्मि। जो उवमिज्जइ सययं तं संघ गुणायरं वंदे॥ अत्रार्थे जे. आदर्श इत्थंरूपा टिप्पणी वर्तते-"गुणेत्यादिगाथा 2 (द्वयं) वृत्तावव्याख्यातम्"। 2. सेज्जंसं सं० शु० / सेयंसं खं० // 3. °मणतय डे. ल. मु.॥. 4. मि खं० जे. मु०॥ 5. पढमेत्थ जे. खं० ल० // 6. वायभूई डे० ल०॥ 7. तहा मो० // 8. एतद्गाथायुगलं चूर्णिकृतेत्थमाहतमस्ति पढमेत्थ इंदभूती बितिए पुण होति अग्गिभूति त्ति। ततिए य वाउभूती ततो वितत्ते सुहम्मे य // 20 // मंडिय-मोरियपुत्ते अकंपिते चेव भयलभाता य / मेतज्जे य पभासे य गणहरा होंति वीरस्स // 21 // 9. इयं गाथा चूर्णिकृताऽऽहता नास्ति /