SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( 30 ) पाण्डित्यादि अस्थिर धोका परिवर्तन होगा जब कि जीवद्रव्य तो शाश्वत ही रहेगा। "से नणं भंते ! अथिरे पलोट्टड, नो थिरे पलोट्टइ, अथिरे भज्जइ नो थिरे भज्जइ, सासए बालए बालियत्तं असासयं, सासए पंडिए पंडियत्तं असासयं ?" हंता गोयमा ! अथिरे पलोट्टइ जाव पंडियतं असासयं।"-भगवती 1. 9.80 द्रव्याथिक नयका दूसरा नाम अव्युच्छित्तिनय है और भावाथिक नयका दूसरा नाम व्युच्छित्तिनय है / इससे भी यही फलित होता है कि द्रव्य अविच्छिन्नध्रुव-शाश्वत होता है और पर्यायका विच्छेद-नाश होता है अतएव वह अध्रुव -अनित्य-अशाश्वत है / जीव और उसके पर्यायका अर्थात् द्रव्य और पर्यायका परस्पर अभेद और भेद भी इष्ट है इसीलिये जीव द्रव्यको जैसे शाश्वत और अशाश्वत बताया इसी प्रकार जीवके नारक, वैमानिक आदि विभिन्न पर्यायोंको भी शाश्वत और अशाश्वत बताया है। जैसे जीवको द्रव्यको अपेक्षासे अर्थात् जीवद्रव्यको अपेक्षासे नित्य कहा वैसे ही नारकको भी जीवद्रव्यकी अपेक्षासे नित्य कहा है और जैसे जीवद्रव्यको नारकादि पर्याय की अपेक्षासे अनित्य कहा है वैसे ही नारक जीव को भी नारकत्वरूप पर्यायकी अपेक्षासे अनित्य कहा है। "नेरइया णं भंते कि सासया असासया ?" "गोयमा! सिय सासया सिय असासया।" "से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?" "गोयमा ! अव्वोच्छित्तिणयट्ठाए सासया बोच्छित्तिणयट्ठाए असासया। एवं जाव वेमाणिया। -भगवती-७. 3. 279 जमालीके साथ हुए प्रश्नोत्तरोंमें भगवान्ने जीवको शाश्वतता और अशाश्वतताके मन्तव्यका जो स्पष्टीकरण किया है उससे नित्यतासे उनका क्या मतलब है व अनित्यतासे क्या मतलब ? यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है: सासए जीवे जमाली ! जं न कयाइ णासी णो कयावि न भवति ण कयाविण भविस्सइ, भुवि च भवइ य भविस्सइ य, धुवे णितिए सासए अक्खए अव्वए अवढ़िए णिच्चे असासए जीवे जमाली ! जन्न नेरइए भविता तिरिक्खजोगिए भवइ तिरिक्खजोगिए भवित्ता मगुस्से भवइ मणुस्से भविता देवे भवइ / " -भगवती 9. 6. 387-1. 4. 42
SR No.004351
Book TitleAgam Yug ka Anekantwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherJain Cultural Research Society
Publication Year
Total Pages36
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy