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________________ तइयो वग्गो तए णं से धन्ने अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुनाए समाणे हट्ट...जावजीवाए छटुंछट्टेणं अणिक्खितेणं तवाकम्मेणं अप्पाणं भावेनाणे विहरइ / तए णं से धन्ने अणगारे पढमछट्टक्खमणपारणंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, जहा गोयमसामी तहेव आपुच्छइ, जाव जेणेव कागन्दी नवरी तेणेव उवागच्छइ, 2 कागन्दीनयरीए उच्च जीवनावकखन्ति // 182 // तए णं से धन्ने अणगारे ताए अभुजयाए पययाए पयत्ताए पग्गहियाए एलणाए जइ भत्तं लहइ तो पाणं न लहइ, अह पाणं तो अत्तं न लहइ / तए णं से धन्ने अणगारे अदीणे अविमणे अकलुसे अबिसादी अपरितन्तजोगी जयणघडणजोगवरिते अहापजात्तं समुदाणं पडिगाहेइ, 2 कागन्दीओ नयरीओ पडिनिक्खसइ जहा गोयमे जाव पडिदंसेइ / तए णं से धन्ने अणगारे समणेणं भगवया अब्भणुनाए समाणे अमुच्छिए जाव अणज्झोववन्ने बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेइ, 2 संजमेणं तवसा विहरइ // 183 // तए णं समणे महावीरे अन्नया कयाइ कागन्दीओ नयरीओ सहसम्बवणाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ, 2 बहिया जणवयविहारं विहरइ // 184 // तए णं से धन्ने अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अन्तिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अगाई अहिजइ, 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ। तए णं से धने अणगारे तेणं ओरालेणं, जहा खन्दओ, जाव सुहुय° चिट्ठइ // 185 // धन्नस्स णं अणगारस्स पायाणं अयमेयारूवे तवरूव
SR No.004350
Book TitleAntgadadasao evam Anuttaravavaidasao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherP L Vaidya
Publication Year1932
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_antkrutdasha, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size8 MB
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