________________ 161] अट्ठमो वग्गो 53 वउत्थं करेइ / छ आयम्बिलाई करेइ, 2 चउत्थं करेइ / एवं एकोत्तरियाए वड्डीए आयम्बिलाई वड्डेइ चउत्थन्तरियाई जाव आयम्बिलसयं करेइ 2 चउत्थं करेइ // 157 // तए णं सा महासेणकण्हा अजा आयम्बिलवड्डमाणं तवोकम्मं चोदसहि वासेहिं तिहि य मासेहिं वीसहि य अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव सम्मं कारणं फासेइ, जाव आराहेत्ता जेणेव अजचन्दणा अजा तेणेव उवागच्छइ,२वन्दइ नमसइ, 2 बहूहिं चउत्थेहिं जाव भावेमाणी विहरइ। तए णं सा महासेणकण्हा अजा तेणं ओरालेणं जाव उवसोभेमाणी चिट्ठइ // 158 // तए णं तीसे महासेणकण्हाए अजाए. अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकाले..., चिन्ता जहा खन्दयस्स, जाव अजचन्दणं पुच्छइ, जाव संलेहणा...कालं अणवकंखमाणी विहरइ / तएणं सा महासेणकण्हा अजा अजचन्दणाए अजाए अन्तिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अङ्गाइं अहिजित्ता बहुपडिपुण्णाई सत्तरस वासाइं परियागं पालइत्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसिचा सर्टि भत्ताई अणसणाए छेइत्ता जस्सट्टाए कीरइ जाव तमढें आराहेइ / 2 चरिमुस्सासनीसासेहिं सिद्धा 5 // 159 // अट्ठ य वासा आई एकुत्तरियाइ जाव सत्तरस / एसो खलु परियाओ सेणियभजाण नायव्वो // 160 // "एवं खलु, जम्बू, समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अङ्गस्स अन्तगडदसाणं अयमढे पन्नत्ते" // 16 //