________________ 88 परिशिष्टम् प्पियाणं अन्तेवासी खन्दए नामं अणगारे पगइभदए. पगइविणीए पगइउवसन्ते पगइपयणुकोहमाणमायालोमे मिउमदवसंपन्ने अल्लीणे भद्दए विणीए। से णं देवाणुप्पिएहिं अब्भणुनाए समाणे सयमेव पञ्च महव्वयाणि आरोवित्ता समणा य समणीओ य खामेत्ता अम्हहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं तं चेव निरवसेसं जाव आणुपुवीए कालगए / इमे य से आयारभण्डए"। 21. “भन्ते" त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वन्दइ नमसइ, 2 एवं वयासी "एवं खलु देवाणुप्पियाणं अन्तवासी खन्दए नामं अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उवगए ?" " गोयमा" इ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-“एवं खलु, गोयमा, मम अन्तेवासी खन्दए नामं अणगारे पगइभद्दए, जाव से णं मए अब्भणुन्नाए समाणे सयमेव पञ्च महव्वयाई आरुहेत्ता, तं चेव सव्वं अवसेसि नेयव्यं जाव, आलोइयपडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा अच्चुए कप्पे देवताए उववन्ने / तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता / तस्स णं खन्दयस्स वि देवस्स बावीसं सागरोमाइं ठिई पन्नचा"। “से णं, भन्ते, खन्दए देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणन्तरं चयं चइत्ता कहिं उववजिहिइ ?" / " गोयमा, महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ मुञ्चिहिइ परिनिव्वाहिइ सव्वदुक्खाणं अन्तं करेहिइ॥