________________ 197 सा मा न्य दूब नर 4 प्रसारि ता| =-=--- एतासु पञ्चस्ववभासिनीषु प्रत्यक्षबोधे स्फुटमडलिषु। --- (102] साधारणं स्फमचे षष्ठमिहेसते यः गुडं शिरस्यात्मन ईक्षते सः॥ सर्वस्य च पूक्तिस्यायं परमार्थः - प्रत्यक्ष प्रतिभासि वर्मन पञ्चस्वडुलीषु स्थितं --- -- सामान्य प्रतिभासते नचविकल्पस्या कारबुहा तया) ता एवाऽस्फुटमूर्तयोऽत्र हि विभासन्ते न जातिस्तत:---- सादृश्यभ्रमकारणौ पुनरिभावकोपलब्धिध्वनी। ति सामान्यसिद्धि दूषणदिम्य सारिता। कृतिरियं पण्डिताशोकस्य / / 0 / --- .