________________ 61-8 अध मार्ग प्रहाण निर्देशो नाम षष्ठं कोशस्थानम् / केशप्रहाणमाख्यातं सत्यदर्शन भावनान। विविधो भावनामार्गो दर्शनाख्यम्त्वनाथनः॥१॥ सत्यान्यूक्तानि चत्वारि दुःखं समुदयस्तथा) निरोधो मार्ग इत्येषां यथाभिसमय क्रमः // 2 // दुःखस्त्रिदुरवतायोगायथायोगमशेषतः। मनापा अमनापाक तदन्ये चैव सासवाः // 3 // यत्र भिलेन का तद्विरन्यापोहे पिया च तत् / घराम्वत् संवृतिसत् परमार्थ सदन्यथा // 4 // वृत्तस्यः श्रुतचिन्तावान् भावनायां प्रयुज्यते / नामोभया विषयाः अतमथ्यादिकाधियः // 5 // व्यपकर्मवयवतो मासंतुष्टमहेछयोः। लब्धे भूयः स्पहाऽतुष्टिरलब्धेच्छा महेच्छता // 6 // विपर्ययात् तद्विपक्षौ विधात्वातामली बतौ / अलोभ आर्यवंशाच तेषी तुष्टात्मकास्त्रयः॥ कर्मान्त्येन ब्रिभिर्वृत्तिस्तृष्णोत्पादविपक्षतः। ममार्टकार वस्त्विच्छा तत्कालात्यन्तशान्तये // 6 //