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________________ Eveति: विज्ञानं न स्थिति प्रोक्तं चतुष्कोटि तु संग्रह। चतस्रो योनयस्तत्र सत्यानामण्डजादयः // 8 // चत्र्धा नरतिर्यग्चो नारका उपपादकाः। अन्तराभवदेहाश्च प्रेता अपि जायजा // 9 // मुत्यपपत्ति भयो रन्तरा भवती ह यः। गम्यदेशानपेततत्वान्तोपपन्तोऽन्तरा भवः // 10 / / वीहि सन्तानसाधादविच्छिन्नमवोदवः / पति बिम्बमसिद्धत्वाद साम्याच्चानिदर्शनम // 11 // सहकत्र दयाभावाद सन्तानादृयोदयात् / कण्ठोक्तचास्ति गन्धर्वात् संबोतर्गतिसूत्रतः॥१२॥ एकाक्षेपादसावैष्यत् पूर्वकालभवाकृतिः। स पुनर्मरणात् पूर्व उपपत्तिक्षणात् पर: // 13 // सजातिशुद्ध दिव्याश्रियः कोई वेगवान् / सकलाओऽप्रतिघवाननिवर्त्यः स गन्धभूक् // 16 // विमार्यम्तमतिर्याति गातिदेशं सिया| गन्ध स्थानाभिकामोऽन्य पादस्तु नारकः // 155 सम्प्रजानन् विशत्येकस्तिष्ठत्येक प्यपरोऽमर। निष्कामत्यपि सर्वाणि मूढोऽन्यो नित्यमण्डजः // 16 // LVP
SR No.004348
Book TitleAbhidharmkoshkarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherJambuvijay
Publication Year
Total Pages84
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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