________________ 148 तत्त्वसार भाषा - भाषा छन्दकारकी प्रार्थना सम्यकदरसन ग्यान, चारित सिवकारन कहे। नय व्यवहार प्रमान, निह. तिहुमैं आतमा // 7 // लाख बातकी बात, कोटि ग्रन्थको सार है। जो सुख चाहौ भ्रात, तो आतम अनुभौ करौ // 76 // लीजौ पंच सुधारि, अरथ छंद अच्छर अमिल। मो मति तुच्छ निहारि, छिमा धारियौ उरविर्षे // 77 // पानत तत्व जु सात, सार सकलमैं आतमा / ग्रन्थ अर्थ यह भ्रात, देखौ जानौ अनुभवौ // 78 // - इति तत्त्वसार . .