________________ नयामृततरङ्गिणी-तरङ्गिणीतरणिभ्यां समलङ्कृतस्य नयोपदेशस्य शुद्धयशुद्धिपत्रम्। शुद्धम् पत्र-पक्लिः अशुद्धम् शुद्धम् पत्र-पतिः अशुद्धम् शुद्धम् पत्र-पतिः कर्षि हारये कलये तस्या अशुद्धम् व्युत्पात्त व्युत्पत्ति 186-6 / येनं येन 214-18 | धिकारणा धिकरणा 225-11 उक्तति उक्काति 186-14 | जन्य ज न्य- 214-28 | रवानीति रवामीति 226-20 व्युत्पत्त व्युत्पत्ति 187-15 यन्त्र यत्र 214-30 | मप्रेऽपि मग्रेऽपि, 226-26 कत्रि 187-17 | श प शाप 216-7 तेयेत्यर्थः / तयेत्यर्थः . 226-32 हाराये 188-2 | विशेषत्वस्यापि विशेष रूढोऽयं रुढो. यं 227-20 कलाये 188-10 विषयत्वस्यापि 216-22 | मृत्वा मृत्त्वा . 221-15 शकिपद शक्तिमत्पद 192-28 बुद्धिविषयत्वस्य बुद्धिविशेष समा सामा 229-18 एतर्थ एतदर्थ 193-7 विषयत्वस्य 216-27 कत्व . कत्व- 230-10 संकारा संस्कारा 193-14 पञ्चाख्यागुणितां पञ्चसङ्ख्या वृत्त्यैव वृत्त्येव 230-13 त्वं चेत् गच्छसि त्वं गच्छसि 194-20 गुणिता 216-24 | कारकत्वादिना कारत्वादिना 230-36 बाधत् बाधात् 194-35 इत्यने इत्यने- 216-28 काले- काले .. 231-1 विशेषतया विशेषणतया 197-28 तस्याः . 217-15 द्वयं / द्वयम् / . 231-3 कान्व बोधो कान्वयबोधो 198-25 ऋजुसूत्रे ऋजुसूत्रो 217-24 प्रतेति प्रतीति 231-11 पङ्कजस्या पडस्या 201-10 | ज्ञातत्व शतत्व 217-27 त्यर्थ / 'त्यर्थः / 232-31 प्रत्ययभावे प्रत्ययाभावे 201-30 कालावाक्यात् कालवाक्यात् 218-27 गति वृति गतिर्भवति 233-19 योगारूढ योगरूढ 202-18 निषेध हे निषेधहे 219-26 संसर्गबोधे- संसर्गबोधे त्वययार्थ त्ववयवार्थ 202-24 स्यात् स्यात्- 219-29 | न्वयबोधे . 235-9 स्याने स्थाने 204-20 प्रदशे प्रदेशे 220-21 इत्यादशहते . इत्याशहते 235-26 पुद्गल पुल 205-7 विधेयताया, विधेयता, 221-50 | योग स योगः स 236-21 अन्याय्यास्वात् अन्याय्यत्वात् 205-18 स्तस्य स्तस्या 221-21 संयोग संयोग- 237-28 सम्बन्धि सम्बन्धि 2.5-22 पद२२ वियो र्भावाभावयो 237-33 त्वावाच्छिन्न त्वावच्छिन्न 205-31 जात्यन्त्यन्त- जात्यन्त देशवृत्ति देशिवृत्ति 238-13 तत्र जीव तत्राजीव 206-16 र्गतस्य तस्य 222-12 | वसति सं वसति न सं. 238-20 नो जीव नोअजीव 206-25 लाघववा लाघवा 222-23 | शब्दानया शब्दनयाः 239-4 दिनात् दिनात 208-12 शूद्र पदत्वं शूद्र परत्वं 222-23 स्वप्रदेशवेव स्वप्रदेशेष्वेव 239-5 समुदे समुद्रे 210-34 निपादीयेति निषादीयेति 222-24 | बाह्यत्वा बाह्यतत्वा 240-13 लक्षम् लक्षणम् 211-11 कर्तृकत्वस्या कर्तृकत्वस्य 222-27 / भेदाभ्युप मेदानभ्युप 240-18 मेक मेक- 211-14 स्यप्य स्याप्य 223-26 / शिष्। इति शिष्य इति 241-11 न्त्यलक्षण न्त्यक्षण 212-8 स्य यत्र कारणत्वं स्य कारणत्वं 223-32 गुरु शिष्यश्च गुरुः शिष्यव 241-30 पादाविव पादावेव 213-32 / नत्वस्मि नत्वन्यस्मि 224-31/ व्यापरत व्यापारत 242-7 पद