________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। नमः' इति लिखेत् / अस्य लिखने सम्यग्विधिश्वास्याम्नायविन्मुखाद् यथा लिखितचक्राद् वाऽवसेयः // // 205 // 206 // (15-16) एयं च सिद्धचकं कहि विजाणुवायपरमत्थं / नाएण जेण सहसा सिझंति महंतसिद्धिओ // 207 // 17 // व्याख्या-एतच्च सिद्धचक्र विद्यानुवादो-दशमं पूर्व तस्य परमार्थरूपं- रहस्यभूतमित्यर्थः, b येन ज्ञातेन सहसा - सद्यो महत्यः सिद्धयो- अणिमाद्याः सिद्धयन्ति // 207 // (17) वळी कलशना मूलमां (नीचे )नव ग्रहोनां नाम आलेखवां, ते आ प्रमाणे१. ॐ सूर्याय नमः। 2. ॐ सोमाय नमः। 3. ॐ भौमाय नमः / 4. ॐ बुधाय नमः। . 5. ॐ बृहस्पतये नमः / 6. ॐ शुक्राय नमः / ... 7. ॐ शनैश्चराय नमः / 8. ॐ राहवे नमः। 9. ॐ केतवे नमः। 10 वळी कंठमां-गळे नव निधिओनां नाम आलेखवां, ते आ प्रमाणे१. ॐ नैसर्पिकाय नमः। 2. ॐ पाण्डुकाय नमः। 3. ॐ पिङ्गलाय नमः। 4. ॐ सर्वरत्नाय नमः / 5. ॐ महापद्माय नमः / 6. ॐ कालाय नमः / 7. ॐ महाकालाय नमः / 8. ॐ माणवकाय नमः। 9. ॐ शङ्खाय नमः / वळी, चार प्रतीहारोनां नाम ( चार दिशाओमां) लखवां, ते आ प्रमाणे . 15 1. ॐ कुमुदाय नमः ( पूर्वमां), 2. ॐ अञ्जनाय नमः ( दक्षिणमां), 3. ॐ वामनाय नमः (पश्चिममां), अने 4. ॐ पुष्पदंताय नमः ( उत्तरमां)। वळी, चार वीरोनां नाम (चार दिशाओमां, ऊपरनी माफक लखवां, ते आ प्रमाणे 1. ॐ माणिभद्राय नमः ( पूर्वमा), 2. ॐ पूर्णभद्राय नमः (दक्षिणमां).. .. 3. ॐ कपिलाय नमः (पश्चिममा ) अने 4. ॐ पिङ्गलाय नमः ( उत्तरमां)। 20 वळी, दश दिक्पालनां नाम (ते ते दिशाओमां) लखवां, ते आ प्रमाणे 1. ॐ इन्द्राय नमः (पूर्वमां), 2. ॐ अग्नये नमः (अग्निमां), 3. ॐ यमाय नमः (दक्षिणमां), 4 ॐ नैर्ऋताय नमः (नैर्ऋत्यमां), 5. ॐ वरुणाय नमः (पश्चिममां), 6. ॐ वायवे नमः (वायुमां), 7. ॐ कुबेराय नमः ( उत्तरमां), 8. ॐ ईशानाय नमः (ईशानमां)। 9. (सौथी ऊपर पूर्वदिशामां), ॐ ब्रह्मणे नमः / 10 (सौथी नीचे 25 पश्चिमदिशामां) ॐ नागाय नमः / अने क्षेत्रपाल देवनुं वायुखूणामां आलेखन करतुं ।-आ बधा ( देवता )ओथी सेवायला (यंत्रने 'ल' अने 'क्षि' अक्षर युक्त) धरणीमंडल (चोरस ) मां प्रतिष्ठित (स्थापन) करवू।आ प्रकारनुं यंत्र पूजा करनारा मनुष्योनां मनोवांछितो पूरे छे // 205 // 206 / / 15-16 // . आ सिद्धचक्र 'विद्यानुवाद' नामना (दशमा पूर्वना) रहस्यरूप छे, जेने जाण्युं होय तो 30 महान् ( अणिमा आदि) सिद्धिओ जलदीथी सिद्ध थाय छे // 207 // (17) . ...