________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। 423 पूर्वस्थितावेक-द्विको मुक्त्वा त्रिकमादौ दत्त्वा गणने तदाक्रान्तकोष्ठके लब्धाः 4, द्वितीयपकावेकक-द्विकत्रिकान् ज्येष्ठानपि पूर्व स्थितत्वेन मुक्त्वा शेषं ज्येष्ठं चतुष्कमादौ दत्त्वा गणने लब्ध एकः, एवमाद्यपतौ पञ्चकाक्रान्तस्थाने लब्ध एकः सर्वमीलने जातं 120 / ___ अथ तृतीयमुदाहरणं यथा-१, 2, 3, 4, ५-अयं कतिथ इति पृष्टे सर्वलघु पञ्चकमादौ दत्त्वोपरितनकोष्ठकाद् गणने पञ्चकाक्रान्तस्थाने लब्धं शून्यम्०, एवं चतुर्थपतौ पञ्चकं पूर्वस्थितं मुक्त्वा / चतुष्कमादौ दत्त्वा गणने चतुष्काक्रान्तस्थाने लब्धं शून्यम् / तृतीयायां प्रोक्तरीत्या त्रिकमादौ दत्त्वा गणने लब्धं शून्यम् / एवं द्वितीयायामपि / आद्यपत्रौ शेषमेकमादौ दत्त्वा गणने एकाक्रान्तकोष्ठे लब्ध एकः, ततः प्रथमोऽयं भङ्गः / एवमधस्तनकोष्ठकाद् गणने यथा-ज्येष्ठमेकमादौ दत्त्वाऽधस्तनकोष्ठाद गणनेऽन्त्यपतौ पञ्चकाक्रान्तकोष्ठे चतुर्थपतौ चतुष्काक्रान्तकोष्ठे तृतीयपतौ त्रिकाक्रान्तकोष्ठे द्वितीयपतौ लब्धानि शून्यानि, आद्यपतौ लब्ध एककः, ततः प्रथमोऽयं भङ्गः / एवं सर्वत्र ज्ञेयम् // 25 // 10 आनुपूर्वीप्रभृतिभङ्गगुणने माहात्म्यमाह इअ अणुपुश्विप्पमुहे भंगे सम्मं वियाणिउं जो उ / भावेण गुणइ निचं सो सिद्धिसुहाई पावेइ // 26 // एवा एक, बे अने त्रणने छोडीने शेष ज्येष्ठ चारने आदिमां करीने गणतरी करतां एक लब्धांक आव्यो। तेवी ज रीते प्रथम पंक्तिमां पांचथी युक्त स्थानमा एक लब्धांक आव्यो। बधाने मेळववाथी 15 120 थया। हवे त्रीजुं उदाहरण आपे छे–१२३४५–आ कयो भांगो छ ? सर्व लघु पांचने आदिमां करीने उपरना कोठाथी गणतरी करतां पांचथी युक्त स्थानमा शून्य लब्धांक आव्यो / एवी ज रीते चोथी पंक्तिमा पूर्वस्थित पांचने छोडीने चारने आदिमां करीने गणतरी करतां चारथी युक्त स्थानमां शून्य लब्धांक आव्यो। त्रीजी पंक्तिमा प्रथम कहेली रीत प्रमाणे त्रणने आदिमां करीने गणतरी करतां शून्य लब्धांक आव्यो / तेवी ज रीते बीजी पंक्तिमां 20 पण प्रथम पंक्तिमा शेष एकने आदिमां करीने गणतरी करतां एकथी युक्त कोठामा एक लब्धांक आव्यो, तेथी आ प्रथम भांगो छ। तेवी ज रीते नीचेना कोठाथी गणतरी करतां पण आ ज संख्या थाय छे, जेम ज्येष्ठ एकने आदिमां करीने नीचेना कोठाथी गणतरी करवाथी छेल्ली पंक्तिमां पांचथी युक्त कोठामां, चोथी पंक्तिमां चारथी युक्त कोठामां, त्रीजी पंक्तिमा त्रणथी युक्त कोठामां तथा बीजी पंक्तिमां बेथी युक्त 25 कोठामा शून्य लब्धांक आव्यो / प्रथम पंक्तिमा एक लब्धांक आव्यों, तेथी आ प्रथम भंग छे॥२५॥ श-आवी ज रीते आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी अने पश्चानुपूर्वीना भांगाओने सारी रीते जाणीने जे आने भावपूर्वक प्रतिदिन गणे छे ते मोक्षनां सुखोने प्राप्त करे छे // 26 // ___1 °मादिं कृत्वो।। 2 भागणनमाह /