________________ 404 पंचपरमिट्टिनमुक्कारमहथुत्तं। [प्राकृत तत्र पूर्वपरिवर्ताङ्कनयने करणमाह___ अंतकेण विभत्तं गणगणियं लेटु अंकसेसेहिं / भइअव्वो परिवंट्टो नेया नवमाइपंतीसु // 9 // व्याख्या-गणस्य गच्छस्य प्रस्तावादत्र नवकरूपस्य गणितं विकल्पभङ्गसंख्या 362880 5 रूपं तदन्त्याङ्केनात्र नवकरूपेण भक्त लब्धाङ्कः 40320 ततो नवमपकावयं परिवर्तो ज्ञेयः / कोऽर्थः ? अस्यां पडावेतावद् एतावतो वारान् नवमाष्टम-सप्तमादीनि पदान्यऽधोऽधो न्यस्यानि, तथा लब्धोऽङ्कः 40320 रूपः, शेषैरष्टभिर्भज्यते / लब्धं 50 / 40 / अयमष्टमपसौ परिवर्तः / अस्य च शेषैः / सप्तभिर्भागे लब्धं 720 / सप्तमपटावयं परिवर्तः / अस्य च प्राग्वत् शेषैः षभिः भागे लब्धं 120, षष्ठपतौ परिवर्तोऽयम् / तस्य च पञ्चभिर्भागे लब्धं 24 / पञ्चमपतौ परिवर्तः / अस्य चतुर्भिर्भागे 10 लब्धं 6 / चतुर्थपको परिवर्तः / अस्य तु त्रिभिर्भागे लब्धं 2 / तृतीयपतौ परिवर्तः / अस्य द्वाभ्यां भागलब्धः 1 / द्वितीयपतौ परिवर्तः / तस्याप्येकेन भागे लब्ध एकः प्रथमपतौ परिवर्तः // 9 // अथ एतानेव परिवर्तान् प्रकारान्तरेणानयति पुव्वगणभंगसंखा अहवा उत्तरगणम्मि परिवट्टो / नियनियसंखा नियनियगणअंतकेण भत्ता वा // 10 // 15 व्याख्या-अथवाशब्दः प्रकारान्तरे। पूर्वगणस्य या भङ्गसंख्या एकस्य एकभंग इत्यादिका सैवोत्तरगणे, परिवर्तस्तु तुल्य इत्यर्थः। तथाहि-एककरूपस्य पूर्वगणस्य या भङ्गसंख्या एकरूपा सैवोत्तर श०-गणना गणितने छेल्ला अंके भागवाथी जे संख्या भागमां आवे तेने बाकीना अंकोनो क्रमशः भाग देवो जोईए / आ रीते जे भाग आवे तेने नवम आदि पंक्तिओना परिवर्ताक जाणवा // 9 // 20 वि०-नवक (नव अंकना गण )नी भंगसंख्या 362880 छे, ते पहेलां कहेवाई गयुं छे / आ भंगसंख्यानो प्रस्तार करीए तो तेमां छेल्लो अंक 9 आवे छे / तेनाथी भंगसंख्यानो एटले 362880 ने भागीए तो भागमा 40320 आवे / आ तेना परिवर्ताक जाणवा। तात्पर्य के, नवकना प्रस्तारमा नवनो आंक छेल्ला कोठामा 40320 वार आवे / आ ज रीते अष्टकना परिवर्ताक काढवा होय तो 40320 ने 8 थी भागवा जोईए। तेम करता 5040 नी संख्या आवे छे ते तेनो 25 परिवर्ताक छे। आरीते क्रमशः भाग दईए तो दरेक गणमा परिवर्तकनी संख्या नीचे मुजब थाय॥९॥ | 1 | 1 | 2 | 5 | 24 | 120 720 5040/40320 श०-अथवा पूर्वगणनी जे भंगसंख्या छे, ते उत्तरगणमा परिवर्त तरीके जाणवी / अथवा पोतपोतानी भंगसंख्यामां गणना छेल्ला अंकनो भाग देवाथी परिवर्त संख्या प्राप्त थाय छे॥१०॥ 1 लद्ध अंकसमेहि A1 2 अंकुसेए / 3 अव्वा प० / / 4 °वट्टा ने° v / 5 °३न न°A 16 लब्धः 40 AI 7 °वत एता। 8 न्यासमीयति, ततो स°। 9 °एगस्स एगभंगो / 10 नेव्यद्यतयं प°४ पंचकनी भंगसंख्यानो प्रस्तार करतां छेल्लो अंक 5 आवे छे, तेम नवकनी भंगसंख्यानो प्रस्तार करतां छेलो अंक 9 आवे छ।