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________________ विभाग] 311 नमस्कार स्वाध्याय। आदित्येन युतश्चार्थः, आत्मस्थाने भविष्यति / चन्द्रेण तु परस्थाने, शुक्रयुक्तः स्वके पुनः // 18 // शेषैस्तु यो युतश्चैव, म स्वकस्थानसंज्ञकः / ततोऽधश्च स्फुटो वाच्यो, यावदन्यो भवेत् तदा // 19 // 20 नताशके यत्र भवेच्छशाङ्कः, सङ्क्रान्तिरन्या त्रिमुहूर्तमध्ये / धृत्वा द्वयं तद् दिनवारगुण्यं, विशुद्धवुझ्या प्रवदन्ति तज्ज्ञाः // 1 // संयोज्य द्रव्याक्षरराशिमत्र, भागं विसंहृत्य यथोक्तराशेः। एकेन वृद्धिर्युगलेन तुल्यः, शून्येन हानिः प्रवदन्ति चार्धे // 2 // स्यादत्तमे उत्तमवद्धिहानिः, स्मान्मध्यमे मध्यमवृद्धिहानिः। स्याद्वाधमे वाऽधमहानिरेतत् , फलं च तत् विष्वपि दिष्टमत्र // 3 // सँप्तैकविंश-दर्श नवे-शर-षोडशै-युगा सुमास्तथाऽङ्काः। रव्यादीनां क्रमशस्तु, भवन्त्यत्र गुणकराः॥४॥ हस्ते चित्रा तथा स्वातौ, ज्येष्ठायां यमवारणे। चत्वारिंशन्मुहूर्ता सपञ्चयुक्ताः प्रकीर्तिताः // 5 // त्रीण्युत्तरेऽपि रोहिण्यां, विशाखायां पुनर्वसौ / पञ्चदशमुहूर्ताः स्युः, शेषैस्त्रिंशत् प्रकीर्तिताः // 6 // तेरह इक्कवीसा बारह अट्ठारसा य पन्नरसा / तेवीसइ गुणवीसा पणवीसाटारसा य तेत्तीसा // 1 // दस चउदसा य कमसो सराण संखा मुणेयव्वा / पणवीसतीसनवयं अट्ठारस एगवीस य कवग्गे // 2 // सत्तावीसा सोलस चउतीसा पनरसा य चउदसया। एसा कमेण संखा चवग्गसंखा मुणेयव्वा // 3 // अट्ठारह पणतीसा तेरह बारसा य सत्तरसा। एसा अणुकमेणं संखा टवग्गम्मि णायव्वा // 4 // सत्तावीसा तेरस पणतीसा अट्ठवीस अट्ठारा। कमसो संखा भणिया तवग्गम्मि विवुहेहिं // 5 // छब्बीस सत्तावीसा अट्ठावीसं चउदह य सत्तरस / कहिया पवग्गसंखा एसा कमसो छइल्लेहिं // 6 // सत्तावीसेगारह नवगं तीसा ययारवग्गम्मि / पणवीसा दहतीसा बारह संखा सयारम्मि // 7 // - यव 57, गोधूम 64, चिणा 65, तिउड 72, तुवरि 74, मुंग 51, धूसर 92, वाल 67, चउला 82, उडिद 80, मउठ 67, जूनला 110, सालि 77, कोद्रवा 108, कांगु 80, तिल 53, सरसव 100, तेल 70, घृत 50, खांडु 89, गुल 48, कपास 127, सण 62, धाई 66, हिंगु 63, जीरं 78, बेसण 103, राई 51, सोनउ 91, रूपउ 95, त्रांबउ 101, कथीर 282, 35 पीतल 105, लोढु 54, कांसु 88, षडु 61 // मासकयस्स अक्खर इक्के काऊण सरा य एगट्ठा। पण्हस्सा वि य एवं भायं पण्हरस य सरेण // 1 //
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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