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________________ // शुद्धिकरण // में जिन प्रयोजक पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध 7 1 धर्म धर्म के 74 32 है, नहीं नहीं है, 14 3 भेदहेतु र्वा भेदहेतुर्वा 78 6 व्यक्तिनां व्यक्तीनां 15 अथार्थता अयथार्थता 82 26 जिन में 15 प्रयोजन 84 17 प्रतीतिन्द्रिय अतीन्द्रिय 12 22 अयर्थोप० प्रयथार्थोप० 86 34 का होम होम 18 15 सापेक्ष सापेक्ष न 60 20 नन्तरीकत्व नन्तरीयकत्व 24 21 जा गी जायेगी 32 ऐसी ऐसे 27 9 पानावगहा / पानावगाहा 91 24 उसको उसकी 30 1 कालममर्थ - कालमर्थ 13 मेधवृष्टि मेघवृष्टि 16 B2e BLE 17 आध्यों साध्यों 21 B2e B2B 93 5 वह उस 32 6 प्रहणं - ग्रहणं 18. से निश्चय के निश्चय 33 1 प्रमाण्या प्रामाण्य 64 22 पक्षत व पक्षवत् 36 3 पृ० 1- . 10 13 95 23 का चार के चार 40 6 महात्म्या माहात्म्या 101 8 प्रदेक्ष प्रदेश 41 19 होता है।' होता है।'-तो 105 12 स्परण स्मरण 20 कारण पारतंत्र्य के 107 6 द्वितीयः द्वितीयः 44 25 है। अब प्रस्तुत] है। ] अब प्रस्तुत 116 21 प्रकाता प्रकाशता 46 24 में सभी सभी 122 13 संवदेन संवेदन 60. 15 किन्तु, इन्द्रिय किन्तु, मीमांसकों का 123 13 कि जाती की जाती कहना है कि इन्द्रिय | 124 3 भासमानात भासनात 17 अब मीमांसकों 127 1 हष्टं ਵਲਈ का कहना है कि 130 5 त्नोऽपि त्मनोऽपि इस इस 136 16 वृत्ति वात्तिक 63 4 संवदा 137 6 मूधरादि भूधरादि 33 है तो.... है तो क्या कारण 10 कारपूर्वक कारणपूर्वक गुणों की अपेक्षा 12 व्यक्ति व्याप्ति करते हैं.... 15 कारण करण 66 24 और इस 18 भावी भाव 68 9 उसके उस का 21 अन्याथा भूत अन्यथाभूत 71 14 तब प्रतः | 136 28 करा- क्यों नहीं करा संवाद और यह
SR No.004337
Book TitleSammati Tark Prakaran Part 01
Original Sutra AuthorSiddhasen Divakarsuri
AuthorAbhaydevsuri
PublisherMotisha Lalbaug Jain Trust
Publication Year1984
Total Pages696
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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