SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 32 $ पृष्ठांक विषयः पृष्ठांकः विषयः 610 मुमुक्षु में द्वेषसत्ता होने पर भी बन्धाभाव 628 तत्त्वज्ञान से सन्तानोच्छेद अशक्य 611 मुक्ति विशुद्धज्ञानोत्पत्तिस्वरूप भी नहीं है 630 उपभोग से सर्वकर्मक्षय अशक्य 611 ज्ञानधारा अविच्छिन्न होने की शंका का 630 सम्यग्ज्ञान से संचितकर्मक्षय की युक्तता निरसन 631 रागादि के विना उपभोग का असंभव 612 सषुप्तावस्था में ज्ञान की सिद्धि अशक्य 632 सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र ही मोक्ष का हेतु है 613 अभ्यास से रागादिनाश की अनुपपत्ति 633 चिदानंदरूपता भी एकान्तनित्य नहीं है 613 अनेकान्तभावना से मोक्षलाभ 633 कर्मसंतानरूप अविद्या के ध्वंस से मोक्ष 614 अनेकान्तभावना से मोक्ष की बात असंगत 634 मुक्ति में सुख की उत्पत्ति का हेतु 615 प्रात्मा में नित्यत्वादि का एकान्त 635 ज्ञानोत्पत्ति में देह की कारणता अनिवार्य 615 अद्वैतवादी अभिमत मोक्ष में असंगति ... नहीं 616 मुक्तिमीमांसायामुत्तरपक्षः 635 ज्ञान का स्वभाव सकलवस्तु प्रकाशकत्व ' 616 विशेषगुणोच्छेदरूप मुक्ति को मान्यता का / | 636 मुक्ति में प्रात्मस्वरूप प्रानन्द की उत्पत्ति निरसन-उत्तरपक्ष 637 साश्रवचित्तसन्ताननिरोध मुक्ति का स्वरूप 617 सन्तानत्वसामान्य के सम्बन्ध की अनुपपत्ति नहीं है 617 समवाय के विषय में प्रत्यक्षादि कोई प्रमाण 638 चित्तसन्तान में अन्वयी आत्मा की उपपत्ति नहीं है 636 ज्ञान-आत्मा का भेदसाधक अनुमान प्रत्यक्ष६१८ सम्बन्धरूप से समवाय का अध्यवसाय बाधित: विकलपग्रस्त 640 एकत्वविषयक प्रत्यक्ष मिथ्या नहीं है 616 इहबुद्धि और समवायबुद्धि से समवाय की 641 विरोधापादन का निवारण प्रतीति अनुपपन्न 642 बाधक के विना गौणार्थकल्पना असंगत 620 इहबुद्धि से समवायसिद्धि अशक्य 643 सुषुप्ति में ज्ञान के सद्भाव की सिद्धि 620 समवाय के अभाव में सन्तानत्व हेतु की 6.4 अनेकान्तभावनाजनित ज्ञान असम्यक न असिद्धि 646 समवायादिसम्बन्धकल्पना में अनवस्था 621 उपादान-उपादेय बुद्धिप्रवाहरूप संतानत्व 647 व्यावृत्ति सर्वथा भिन्न या असत् नहीं है हेतु में दोष 648 दृश्य-विकल्प्य का एकीकरण अशक्य 622 पूर्वापरभावापन्नक्षणप्रवाहरूप सन्तानत्व हेतु में दोष 646 सामान्य समानपरिणामरूप है 650 इतरेतराभाव की अनुपपत्ति 622 सन्तानत्व हेतु में विरोध दोष 651 भेद का अपलाप अशक्य 623 सन्तानत्व हेतु में विरोध दोष का समर्थन / 652 पराऽसत्व के विना स्वभावनयत्य का प्रभाव 624 संतानत्व हेतु में पक्षबाधा और कालात्यया पदिष्टता 652 अन्यापोह को पदार्थरूप मानने में अनव६२४ शब्दादि में परिणामवाद की सिद्धि स्थादि दोष नहीं 625 क्षणिकवाद में कारणकार्यभाव की अनुपपत्ति | 654 अनेकान्तवाद में अनवस्थादि का परिहार 626 परिणामवादस्वीकार के विना कृतकत्वादि 655 परिशिष्ट-१ व्याख्यागतसाक्षिपाठों का की अनुपपत्ति अकारादिक्रम 628 सन्तानत्वहेतुक अनुमान में सत्प्रतिपक्षता / 656 शुद्धिपत्रक
SR No.004337
Book TitleSammati Tark Prakaran Part 01
Original Sutra AuthorSiddhasen Divakarsuri
AuthorAbhaydevsuri
PublisherMotisha Lalbaug Jain Trust
Publication Year1984
Total Pages696
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy