________________ शास्त्रलेखन अने संग्रह-विश्वविख्यातकीर्ति पुनीतनामधेय पंजावदेशोद्धारक न्याया- ' म्भोनिधि जैनाचार्य श्रीविजयानन्दसूरिवरनी अवर्णनीय अने अखूट ज्ञानगंगाना प्रवाहनो वारसो एमनी विशाळ शिष्यसंततिमा निराबाध रीते वहेतो रह्यो छ / ए कारणसर पूज्यप्रवर प्रातःस्मरणीय प्रभावपूर्ण परमगुरुदेव प्रवर्तकजी महाराज श्री 1008 श्रीकान्तिविजयजी महाराजश्रीमां पण ए मानगंगानो निर्मळ प्रवाह सतत जीवतो वहेतो रह्यो छे / जेना प्रवास्थान सानना शानभंडारोमांयी श्रेष्ठ श्रेष्ठतम शास्रोतुं लेखन, तेनो संग्रह अने अध्ययन आदि चिरकाळयी चालु हतां अने आज पर्यंत पण ए प्रवाह अविच्छिन्नपणे चालु ज छ। उपर जणावेल शाबलेखन अने संग्रहविषयक सम्पूर्ण प्रवृत्ति पूज्यपाद गुरुवर श्रीचतुरविजयजी महाराजना सूक्ष्म परीक्षण अने अभिप्रायने अनुसरीने ज हम्मेशा चालु रमां हतां / पुण्यनामधेय पूज्यपाद श्री 1008 श्रीप्रवकजी महाराजे स्थापन करेला वडोदरा अने छाणीना जैन ज्ञानमंदिरोमांना तेओश्रीना विशाळ झानभंडारोनुं बारीकाइथी अवलोकन करनार एटलुं समजी शकशे के ए शास्त्रलेखन अने संग्रह केटली सूक्ष्म परी... क्षापूर्वक करवामां आव्या छे अने ते केवा अने केटला वैविध्यथी भरपूर छ। शाबलेखन ए शी वस्तु छे ए बाबतनो वास्तविक ख्याल एकाएक कोइने य नहि भावे / ए बाबतमा भलभला विद्वान् गणाता माणसो पण केवां गोयां खाइ बेसे छे एनों ख्याल प्राचीन अर्वाचीन ज्ञानभंडोरोमांनां अमुक अमुक पुस्तको तेम ज गायकवाड ओरिएन्टल इन्स्टीट्युट आदिमांनां नवां लखाएल पुस्तको जोवाथी ज आवी शके छे। खरं जोतां शास्त्रलेखन ए वस्तु छे के-तेने माटे जेम महत्त्वना उपयोगी अंथोनुं पृथकरण अति झीणवट पूर्वक करवामां आवे एटली ज बारीकाइथी पुस्तकने लखनार लहियाओ, तेमनी लिपि, पंथ लखवा माटेना कागळो, शाही, कलम वगेरे दरेके दरेक वस्तु केवी होवी जोइए एनी परीक्षा अने तपासने पण ए मागी ले छ। . ब्यारे उपरोक्त बावतोनी खरेखरी जाणकारी नथी होती त्यारे घणी वार एवं बने छ के-लेखको ग्रंथनी लिपिने बराबर उकेली शके छे के नहि ? तेओ शुद्ध लखनारा छे के भूलो करनारा-वधारनारा छे ? तेओ लखतां लखतां वचमांथी पाठो छूटी जाय तेम लखनारा छे के केवा छे ? इरादा पूर्वक गोटाळो करनारा छे के केम ? तेमनी लिपि सुंदर छे के नहि ? एक सरखी रीते पुस्तक लखनारा छे के लिपिमां गोटाळो करनारा छे ? इत्यादि परीक्षा कर्या सिवाय पुस्तको लखाववाथी पुस्तको अशुद्ध भ्रमपूर्ण अने खराब लखाय छे / आ उपरांत पुस्तको लखाववा माटेना कागळो, शाही, कलम वगेरे लेखननां विविध साधनो केवां होवां जोइए एनी माहिती न होय तो परिणाम ए आवे छे के सारामां सारी पद्धतिए