________________ प्रस्तावना / दरेक पृष्ठमां चौदथी सोळ पंक्तिओ छे अने पंक्तिदीठ 50 थी 62 अक्षरो छे। प्रतिनी स्थिति घणी ज सारी छे / अंतमां नीचे प्रमाणे पुष्पिका छे__"इति श्रीमलयगिरिसूरिविरचिता सप्ततिटीका समाप्ता॥ ॥छ॥ ॥संवत् 1704 वर्षे कार्तिक शुदि 8 सोमे लिखितं // छ॥ // ग्रंथाग्रं 3880 // सर्वग्रंथानं 14052 // // छ // ॥छ // // श्रीः // // श्रीरस्तु // ॥छ // ॥छ / चतुर्दश सहस्राणि, सार्ध शतसमन्वितम् / प्रन्थं कर्मविपाकानां, षण्णामत्र निरूपितम् // 1 // तञ्च वाच्यमानाखोवसीयमाना भवतु // श्रीराजनगरे लिखिता // एतस्यां शुचिसम्प्रदायविगमात् ताहक्सुशास्त्रेक्षणा भावाद् ग्रन्थगतार्थबोधविरहाद् बुद्धेश्च मान्द्यान्मया / दुष्टं क्लिष्टमशिष्टमित्र ] समयातीतं च यत्किञ्चन, प्राज्ञैः शास्त्रविचारचारुहृदयैः क्षस्यं च शोध्यं च तत् // 1 // ... श्रीमजैनमतं यावज्जयवज्जगतीहितम् / अस्तु वृत्तिरियं तावद् , भुवि भव्योपकारिणी // 2 // इति भद्रम् // 6 त० संज्ञक प्रति-आ प्रति पाटण-फोफळीयावाडानी आगली सेरीमांना तपागच्छीय पुस्तकभंडारनी छे / आ भंडार अत्यारे शा. मलुकचंद दोलाचंदनी देखरेखमा छ / प्रति कागळ उपर त्रिपाट लखाएली छे अने सटीक छ ये कर्मग्रन्थनी छे। . तेनां पाना 119 छ / प्रतिनी लंबाई-पहोळाई 10 // 44 // इंच छ / पानानी दरेक मुठीमां 24 थी 27 लीटीओ छे अने लीटीदीठ 63 थी 81 अक्षरो छ। प्रति घणी ज सारी स्थितिमा छे अने अंतमां आ प्रमाणे पुष्पिका छे-- " संवत् 1606 वर्षे कार्तिक शुद 4 गुरौ दिने लिखितम् / छ / शुभं भवतु // " 7 छा० संज्ञक प्रति-आ प्रति, वडोदरा नजीक आवेला छायापुरी (छाणी) गामना ज्ञानमंदिरमा रहेला पूज्यपाद परम गुरुदेव प्रवर्तक श्री 1008 श्रीकान्तिविजयजी महाराजश्रीना पुस्तकभंडारनी छे / आ ज्ञानभंडार हमणां त्यांना श्रीसंघनी देखरेख नीचे छ / आ प्रति कागळ उपर शूढ लखाएली छे अने ते सटीक छ कर्मग्रन्थनी छे / एनां पानां 256 छे अने लंबाइ-पहोळाई 10x4|| इंच छ / दरेक पानामां 15 पंक्तिओ छे अने पंक्तिदीठ 53 थी 60 अक्षरो लखाएला छ / प्रति घणी सारी स्थितिमा छ / भंतमां खास पुष्पिका जेवू कशुं य नथी। प्रतिओनी शुद्धाशुद्धि अने संशोधन-उपर अमे जे सात प्रतिओनो परिचय आप्यो छे ते पैकी वधारे सारी अने शुद्ध प्रतिओ ताडपत्रनी ज गणाय / कागळ उपर लखाएली प्रतिओ ताडपत्रीय प्रतोथी साधारण रीते बीजे नंबरे ज गणाय / ते छतां ए प्रतोए