________________ प्रस्तावना। सेवा करी / ते साधु गिरनार तीर्थनी यात्रा माटे खूब झंखता हता / तेमनी अंतसमयनी भावना पूरी करवामाटे गामना लोकोने समजावी पालखी वगेरे साधननो बंदोबस्त करी रात्रे सूइ गया / सवारे उठीने जुए छे तो त्रणे जणा पोतानी जातने गिरनारमा जुए छ / आ वखते शासनदेवताए आवी तेमने कह्यु के--आप सौनुं धारेलुं बधु य काम अहीं ज पार पडी जशे, हवे आपने आ माटे गौडदेशमा जवानी जरूरत नथी / अने विधि नाम माहात्म्य कहेवा पूर्वक अनेक मन्त्र औषधी वगेरे आपी देवी पोताने ठेकाणे चाली गई। ____एक वखत गुरुमहाराजे तेमने सिद्धचक्रनो मंत्र आम्नाय साथे आप्यो, जे काळी चौद शनी राते पद्मिनी स्त्रीना उत्तरसाधकपणाथी सिद्ध करी शकाय। x x x x xत्रणे जणाए विद्यासाधनना पुरश्चरणने सिद्ध करी, अम्बिकादेवीनी सहायथी भगवान् श्रीनेमिनाथ सामे बेसी सिद्धचक्रमंत्रनी आराधना करी / मन्त्रना अधिटायक श्रीविमलेश्वरदेवे प्रसन्न थई त्रणे जणाने कह्यु के-तमने गमतुं वरदान मागो। त्यारे श्रीहेमचन्द्रे राजाने प्रतिबोध करवानु, श्रीदेवेन्द्रररिए एक रातमां कान्तीनगरीथी सेरीसामां मंदिर लाववानुं अने श्रीमलयगिरिसरिए जैन सिद्धान्तोनी वृत्तिओ रचवानुं वर माग्युं / त्रणेने तेमनी इच्छा प्रमाणेनुं वर आपी देव पोताने स्थाने चाल्यो गयो / " ____ उपर कुमारपालप्रवन्धमाथी जे उतारो आपवामां आव्यो छे एमां मलयगिरि नामनो जे उल्लेख छ ए बीजा कोई नहि, पण जैन आगमोनी वृत्तिओ रचवानुं वर मागनार होई प्रस्तुत मलयगिरि ज छ / आ उल्लेख हँको होवा छतां एमां नीचेनी महत्त्वनी बाबतोनो उल्लेख थएलो आपणे जोइ शकीए छीए-१ पूज्य श्रीमलयगिरि भगवान् श्रीहेमचन्द्र साथे विद्यासाधनमाटे गया हता। 2 तेमणे जैन आगमोनी टीकाओ रचवा माटे वरदान मेळव्युं हतुं अथवा ए माटे पोते उत्सुक होई योग्य साहाय्यनी मागणी करी हती / 3 'मलयगिरिमरिणा' ए उल्लेखथी श्रीमलयगिरि आचार्यपदविभूषित हता। .. श्रीमलयगिरि अने तेमनुं सूरिपद-पूज्य श्रीमलयगिरि महाराज आचार्यपदविभूषित हता के नहि ? ए प्रश्नो विचार आवतां, जो आपणे सामान्य रीते तेमना रचेला प्रन्थोना अंतनी प्रशस्तिओ तरफ नजर करीशुं तो आपणे तेमां तेओश्रीमाटे " यदवापि मलयगिरिणा" एटला सामान्य नामनिर्देश सिवाय बीजो कशो य खास विशेष उल्लेख जोइ शकीशु नहि / तेमज तेमना पछी लगभग एक सैका बाद एटले के चौदमी सदीनी शरुआतमां थनार तपागच्छीय आचार्य श्रीक्षेमकीतिमूरिए श्रीमलयगिरिविरचित ... 1 बृहत्कल्पसूत्रनी टीका आचार्य श्रीक्षेमकीत्तिए वि. सं. 1332 मा पूर्ण करी छे /