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________________ गाथा विषय गुणस्थानमां ओपथी अने व स्व गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101, 74, 67, अने 17 प्रकृतिना बन्धवामित्वनुं कथन .109 19 आहारकमार्गणामां आहारकनुं ओपथी 120 अने प्रथमथी तेर गुणस्थानमा क्रमथी 117,101, 74, 77, 67, 63, 59, 58,22, 17, 1, 1 अने 1 प्रकृतिना बन्धवामित्वनुं कथन ... 109 20 औपशमिकसम्यक्त्वमां कांइक विशेष कथन 109 20 औपशमिक अने क्षायोपशमिकसम्यक्त्वमा फरक 109 21 कृष्ण, नील अने कापोत लेश्याम ओपथी 118 अने भादिना चार गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101, 74 अने 77 प्रकृ. तिना बन्धस्वामित्वन कथन 22 तेजोलेश्यामां ओपथी 111 अने आदिना सात गुणस्थानमा क्रमथी 108, 101, 74, 77, 67, 63, अने 59 प्रकृ. तिना बन्धखामित्व- कथन 22 शुक्ललेश्यामां ओपथी 104 अने आदिथी तेर गुणस्थानमा क्रमथी 101, 97, 74, 77, 67, 63, 59, 58, 22, 17, 1, 1 अने 1 प्रकृतिना बन्धवामित्वनुं कथन 22 पनलेश्यामां ओपथी 108 अने आदिथी सात गुणस्थानमा क्रमथी 105, 101, 74, 77, 67, 63 अने 59 प्रक तिना बन्धवामित्वनुं कथन .. . 23 भव्य अने संज्ञिमा ओघथी 120 अने आदिथी तेर गुणस्था नमा क्रमथी 117, 101, 74, 77, 67, 63, 59,58, . . 22, 17, 1,1 अने 1 प्रकृतिना बन्धवामित्वन कथन 23 अभव्यमा ओघथी अने प्रथम गुणस्थानमा 117 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वनुं कथन 23 असंझिमा ओघथी 117 अने पहेला तथा बीजा गुणस्थानमा क्रमथी 117, अने 101 प्रकृतिना बन्धवामित्वर्नु कथन ... 23 अनाहारकमां ओपथी 112 अने पहेला, बीजा, चोथा अने तेरमा गुणस्थानमा क्रमथी 107, 94, 95 अने 1 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वर्नु कथन 110 24 लेश्यामां गुणस्थाननी सख्या 24 मतान्तरथी कृष्णादि त्रय लेश्यामा छ गुणस्थामनुं कयन 111 24 मन्थनी समाप्ति 110 111
SR No.004334
Book TitleChatvar Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1997
Total Pages260
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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