________________ 523 / 4 104 न्यायकुमुदचन्द्रे केशोण्डुकादिज्ञान 165 / 21; 662 / 2,10; | तमिर 743 / 13 | तैमिरिकोपलब्धि २३श२२ कोशपान 183 / 10 तोयशीतस्पर्शव्यञ्जकवाय्ववयविवत् 1571 क्रियाविशेषयज्ञोपवीतादिचिह्नोपलक्षित 778/10 त्रयोदशविध (करण) 350 / 13 क्षपकश्रेणी 878 / 2 त्रिकटकादि 425 / 12 क्षपकश्रेण्यारोहण 859 / 11; 87016 त्रिदण्डदर्शन 462 / 9 क्षीणमोहान्त्यसमय 847 / 12 त्रिधा (व्युत्पाद्य) 2017 क्षुरमोदकशब्दोच्चारण 536 / 10 त्रिप्रकारा (वेदना) 391111 क्षुरादिपाषाणादिशब्दश्रवण 144 / 15 विविध (अप्रमाण) 196 / 17 खरकद्रम 202 / 18 त्रिविध (कारण) 217116 गणधरदेवादिरूप 8557 | त्रिविध (संस्कार) 275 / 3;278 / 22;71138 गणधरादि 869 / 4 त्रिविध (फल) 318 / 2 गणभृत् 2 / 3 त्रिविध (छल) 32115 गुणाष्टकवत् 866 / 20 / त्रिविध (लिङ्ग) 795 / 25 गोपालघटिकादि 425 / 1; 85112 दण्डकवाटादिविधान 859 / 18 गौरुस्रा इत्यादिवत् 7677 | दर्शपौर्णमासयज्ञ 578 / 6 घोटिकेव घोटकैः 873 / 3 | दशविध (कार्य) 350 / 12 चतुरार्यसत्य 39317 | दशाननदाह * 619 / 11 चतुर्विशति (गुण) 215 / 6 दिव्यतर्यादिरव 8557' चन्द्रकान्ताद्यन्तर्भूतजलादि 239 / 25 दिव्यपरमाणुलाभ 858 / 12 चन्द्रोदय-समुद्रवृद्धयोः 448 / 4 | दीर्घशष्कुलीभक्षणादि 270 / 22,27117 13 चरमदेह 867 / 2 / दूरस्थविरलकेशदर्शन 636 / 13 चरमशरीरिन् 871 / 11 | दूरासन्नार्थोपनिबद्धदृष्टिप्रेक्षकजनवत् 565 / 8 चरमोत्तमदेह 863 / 19 | दृष्टिदोषभय 864 / 9 चार्वाक 194 / 22; 341 / 15 | देवच्छन्दक 855 / 10,864 / 17 चकमत 173 / 12; 341 / 17 | देवनारकतिर्यग्भोगभूमिज . 866 / 2 चिच्छायाच्छुरितबुद्धिवृत्ति 192 / 16 | देशोनपूर्वकोटि 85418 चित्रपट्यादि 415 / 15 | द्वादश (मिथ्योपपाद) 87758 चित्रपट्यादिसामग्री 414 / 16 / द्विप्रकार (निरोध) 392 / 1 चौरशब्द 54712 | द्विविध (उपदेश) 882 जलकल्लोलवत् 370 / 6 द्विविध (स्वप्न) 135 / 12 जलबुद्बुदवत् 342111:34818 द्विविध (ब्रह्म) 139 / 17 जिन 521111 / द्विविध (शक्ति) 158 / 16 जिनपति 2 / 4 द्विविध (प्रमाणफल) 209 / 14 जिनपतिमतानुसारिन् 308 / 20,371 / 17 | द्विविध (सामान्य) 2157 जिनेन्द्रपद 2 / 3 | द्विविध (अनेकान्त) 372 / 1 जैन 71 / 19,77 / 10;279 / 10,307 / 1,484 / / द्विविध (अभाव) 4687 15:726 / 9 द्विविध (पर्यंदास अपोह) 555 / 7 जैनमत 348 / 19;740185832 / 11 द्विविध (प्राणादि) 850 // 23 // ज्ञानावरणादिकर्म 808 / 19 द्विविध (मुक्तिकारण) 852 / 2 ज्योत्स्ना 669 / 5 | द्विविध (यतिवन्द्यपद) 875 / 18 ज्वराधुच्चाटन 73113 / द्विविध (गृहि-देववन्द्यपद) 875 / 20 तथागतादि 587 / 13 | धत्तूरककोद्रवादि 34816 तदहर्जातबालक 347116 धतूरकपुष्पवत् 270 / 20 तरङ्गिणीतीरे फलानि सन्ति 542 / 11 | धत्तूरकाधुपयोगिन् 81014 तिमिराद्युपप्लवज्ञान 523 / 13 धनुर्वेदपरिज्ञानार्थिन् 4113 तीर्थकरत्वकर्मोदय 8627 धानुष्कवत् 437 / 10 तीर्थकरत्वनामपुण्यातिशय 875 / 13 धूपदहनादि 225116362 / 25 तीर्थकराकारधर 876 / 10 न कदाचिदनीदृशं जगत् 102 / 27 तीर्थस्नान 634 / 19 | नद्यास्तीरे फलनि सन्ति 54118.