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________________ 12. 353. 3] सान्तिपर्व [12. 3539 कथैषा कथिता पुण्या नारदाय महात्मने // 3 नारदेनापि राजेन्द्र देवेन्द्रस्य निवेशने / कथिता भरतश्रेष्ठ पृष्टेनाकिष्टकर्मणा // 4 देवराजेन च पुरा कथैषा कथिता शुभा। समस्तेभ्यः प्रशस्तेभ्यो वसुभ्यो वसुधाधिप // 5 यदा च मम रामेण युद्धमासीत्सुदारुणम् / / वसुभिश्च तदा राजन्कथेयं कथिता मम // 6 पृष्ठमानाय तत्त्वेन मया तुभ्यं विशां पते। कोयं कविता पुण्या धा धर्मभृतां वर // 7. तदेष परमो धर्मो यन्मां पृच्छसि भारत / असन्नधीरनाकाली धर्मार्थकरणे नृप // 8 मच किल कृतनिश्चयो द्विजाग्र्यो भुजगपतिप्रतिदेशितार्थत्यः / यमनियमसमाहितो वनान्तं परिगणितोन्छशिलाशनः प्रविष्टः // 9 / इति श्रीमहाभारते शान्तिपर्वणि त्रिपञ्चाशदधिकत्रिशततमोऽध्यायः // 353 / / // समाप्तं मोक्षधर्मपर्व॥ // समाप्तं शान्तिपर्व // - 2491 -
SR No.004323
Book TitleMahabharat Samhita Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhandarkar Oriental Research Institute
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1974
Total Pages864
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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