________________ 48 धातुप्रदीपः / 48 वक्ष रोषे / 664 / वक्षति | ववक्ष / वक्षः क्रीडम् / .. मक्ष संघाते / 665 / म्रक्षति / मक्ष इत्यप्येके / 666 / मक्षति / मक्षिका / तक्ष त्वचने / 667 / त्वचनं संवरणम् / तक्षति / तक्षिता। पक्ष परिग्रह इत्यप्येके / 668 | पक्षति / पक्षः / पक्षणम् / पूर्ण अनादरे / 668 / सूक्षति / सुषुः / सूक्षणम् / (75) काक्षि वाक्षि माक्षि काकायाम् / 670-672 / काइति। चकार / काजा। वाइति / पृषीदरादित्वात् इस्खे "तसन्धिः पुंसि वक्षणः / " माक्षति / द्राक्ष धाक्षि ध्वाक्षि घोरवाशिते च / 673-675 / ट्राइति / ददाइ / ध्राइति / वाइति / ध्वाक्षः / चूष पाने / 676 / चूषति / चुचूष / तूष तुष्टौ / 677 / तूषति / तूषा / तूषः / पूष हो / 678 / पूषति / पूषितम् / पूषः / . मूष स्तेये / 678 / मूषति / मूषकः / मुषा / मूषिका। / खूष प्रसवे / 680 / सूषति / सुषूष / . यूष हिंसायाम्। 681 / युषति / यूषः / “पीते यूणि निरामयः / " (76) जूष च। 682 / जूषति / भूष अलङ्कार। 683 / भूषति / बुभूष। भूषते कन्या स्वयमेव / भूषणम् / जष रुजायाम् / 684 / अषति / अषाञ्चकार / अषः / अषरम् / ईष उच्छे / 685 / ईषति / ईषाञ्चकार / ईषा / प्रेथः / प्रेषः / कष शिष जष झष शष वष मष रुष रिष हिंसाः / 686-684 / कषति / कषिष्यति / समूलकार्ष कषति / निमूलकाषं कषति / सर्वकषः / (75) पत्र भट्टोनि:-"अनादर इति तु क्वाचितकोऽपपाठः।" इति। अवजावहिलनमसूर्तणमित्यमरः / सूर्तणमादरः। . (76) यूषो मांसरसविशेष इति माधवः /