________________ धातुप्रदीपः / 108 मृण हिंसायाम् / 50 / मृणति / मृणितम् / राणालम् / तुण कौटिल्ये / 51 / तुणति / तुतोण / पुण कर्मणि शुभे / 52 / पुणति / निपुणः / पुण्यम् / मुण प्रतिज्ञाने / 53 / मुणति / मुणितम् / / कुण शब्दोपकरणयोः / 54 / कुणति / चुकोण | कोणः / कोणित्वा कुणित्वा। कोणिका। * शुन गतौ / 55 / शुनति / शुनकः / द्रुण हिंसागतिकौटिलेषु / 56 / द्रुणति / दुद्रोण। द्रोणः / द्रोणी। द्रुणः / द्रुणी। कुद्रोणी। विद्रोणम् / / __घुण धूर्ण भ्रमण / 57 / 58 / घुणति / जुधोण। घुणती घुणन्ती / घूर्णति / जुघूर्ण / घूर्णती घूर्णन्ती / घोणते घूर्णत इति भौवादिकयो रूपम् / पुर ऐश्वर्यादीत्योः / 58 / सुरति / सुषोर / सोरिता। सूर्यात् / असोरीत्। सुरः। सुरा। कुर शब्दे / 60 / कुरति / कूर्यते / चुकोर / कूय्यात् (9) / अकोरीत् / खुर च्छेदने। खण्डने च। 61 / खुरति। चुखोर। खोरिता / न्यखोरीत् / खुरः। . मुर संवेष्टने / 62 / मुरति / मुरः / मुरारिः / क्षुर विलेखने / 63 / क्षुरति / चुक्षोर / तुरः / घुर भीमार्थशब्दयोः / 64 / घुरति / जुघोर / घोरः। घुर्धरः। (10) पुर अग्रगमने / 65 / पुरति / पुरम् / पुरी। वृह उद्यमे / 66 / वृहति / वहिता वा / वहिष्यति वच॑ति / अवीत अक्षत् / वरीवह्यते। विवर्हिर्षति विवक्षति / वर्हितम् वर्द्धम्। बढः / वहित्वा वृट्वा / वृह स्तृह ह हिंसाः / 67-68 / टहति। तर्हिता त / अतीत (9) हलि चेति (8 / 2277) दीर्घः। न भकुरकुरामिति (8 / 2 / 79) तु न खः / अत्र करोतेरेव ग्रहणात्। (10) कबादीमा के हे भवत इति (6 / 1 / 12, वा) हित्वम् / पृषीदरादित्वाच्च न हलादिशेषः (1460) /