________________ नमस्कार स्वाध्याय संस्कृत मध्ये जम्बूद्वीपस्तदंष्टकाष्ठाक्रमेण संस्थाप्यम। अर्हत्-सिद्धाद्यभिधापञ्चकयुग ज्ञान-दर्शन-चारित्रम् // 4 // __ अनुवादः-(यन्त्रना) मध्यभागमा जंबूद्वीप छे ने तेनी आठ दिशामा क्रमशः अर्हत्, सिद्ध वगेरे पांच नामो अने साथे ज्ञान, दर्शन ने चारित्र स्थापन करवा // 4 // 16. मध्ये-मध्यस्थानमां, यन्त्रनी कर्णिकामां / 17. अष्टकाष्ठा—(जंबूद्वीपनी) आठ दिशा। दिशा दश छे; परंतु स्तवमां आठना अंकनी मुख्यता होवाथी अहीं 'अष्टकाष्ठा'नो निर्देश छ। यन्त्रनी उपरनी दिशामां ब्रह्मा तथा नीचेनी दिशामां नागेन्द्रनुं आलेखन करवामां आवे छे ते प्रणालिका प्रमाणे थाय छे; परंतु अहीं स्तवमा ते विशे निर्देश नथी। आठना अंकनी मुख्यता दर्शावती तालिका + 10] 1. दिक् / 2. बीज / 3. पद / 4. ग्रह अष्टकाष्ठा बीजाष्टक / पदाष्टक ग्रहाष्टक ___ श्लोक | श्लोक नं. 7 श्लोक नं. 4 नं.६ अष्टमन्त्रपद / नं.९ श्लोक नं.१० 5. कूटाक्षर 6. कमलदल| 7. अधिष्ठान 8. दृढी करणनो काल चार अष्टक सदिक्- द्वयष्टौ | अष्टमासान् श्लोक पत्रम् श्लोक नं.११ श्लोक | नं.२९ / | नं. 18 श्लोक श्लोक. नं. 14. 15 18. संस्थाप्यम्-सम्यक् रीते (विधिपूर्वक) स्थापन करवू-आलेख, कोरवू अथवा कोतरवू / 19. अर्हत्........चारित्रम्-अर्हत् , सिद्ध आदि पांच नामो अने साथे ज्ञान, दर्शन, चारित्र स्थापन करवा / आ तो केवळ निर्देश परतुं दर्शावायुं छे, परंतु तेनी आम्नाय श्लोक नं. 7 मां आवशे। * सरखावो जम्बूवृक्षधरो द्वीपः क्षारोदधिसमावृतः। अर्हदाद्यष्टकैरष्टकाष्ठाधिष्ठेरलङ्कृतः // 11 // + सरखावो अष्टवर्गा मातृका, अष्टौ लोकपालाः, अष्टौ दिशः, अष्टौ नागकुलानि, आणिमाद्यष्टकम् , विद्याष्टकम् , कामाष्टकम् , सिद्धाष्टकम् , पीठाष्टकम् , योगिन्यष्टकम् , भैरवाष्टकम् , क्षेत्रपालाष्टकम् , समयाष्टकम, धर्माष्टकम्, योगाष्टकम् पूजाष्टकम् , यत्किंचिद् अष्टकं तत्सर्वे मातृकाष्टकवर्गकण्ठलमसलीनं ज्ञातव्यम् / -श्रीत्रिपुराभारती-लघुस्तवस्य पञ्जिकानाम विवृतिः पृ. 34. श्रीसोमतिलकसूरिकृत. 25