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________________ नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत सौवर्ण-रूप्य-कांस्ये पटात्मदेहेऽर्चनांकृते स्थाप्यम् / रक्षायै भूर्जदले कर्पूराद्यैः सुवर्णलेखिन्या // 2 // * अनुवादः-सोनु, रूपुं अने कांसुं–ए त्रणना पटरूप देहमां (पटमां) पूजन माटे (आ यन्त्रनुं) स्थापन करवू / रक्षा माटे भोजपत्रमा कपूर वगेरे (अष्टगंध)थी सोनानी लेखणीथी लखीने . 5स्थापq // 2 // देव अथवा देवीना अधिष्ठान माटे गृहरूप आलेखन ते यन्त्र / (यन्त्रं देवाधिष्ठाने....नियन्त्रणे -श्रीमद् हेमचन्द्राचार्यविरचित 'अनेकार्थसंग्रह' पृष्ठ 460) यन्त्र मन्त्रनो आधार छे माटे मन्त्रमय छे अने देवता मन्त्रथी अभिन्न होवाथी मन्त्रस्वरूप छ। जे प्रमाणे देह अने आत्मा वच्चे (भेद अने अभेद) छे ते प्रमाणे यन्त्र अने देवता वच्चे पण समजवो। आ 10 प्रकारे मन्त्ररूपी देवनु अधिष्ठान ते यंत्र छ। * 6. आलेखनम्-यन्त्रना स्वरूप विशे तथा पूजन, द्रव्य वगेरे विषे जे आम्नाय प्राप्त थाय ते पूर्वक यन्त्रनुं आलेखन करवानुं होय छे / यथाविधि आलेखन थयु होय तो यन्त्र सफळ थाय छे। आ कारणे श्री सिंहतिलकसूरि यन्त्र-रचनानो विधि आ स्तवमां दर्शावे छे / 7. सौवर्ण-रूप्य-कांस्ये-सोना, रूपा अने कांसा वडे निर्मित पटमां आ यन्त्रनुं आलेखन 15 करावयूँ / पछी तेनी पूजा करवी। ताम्रपट पर पण आलेखन थयेलां यन्त्रो जोवाय छ / भूर्जपत्र प्रधान छे। बाकी रेशमी वस्त्र, उत्तम प्रकारना कागळ वगेरे पण उपयोगमा लई शकाय छे / + 25 *श्रीसिंहतिलकसूरिए प्रस्तुत ग्रंथनी रचना 'श्रीऋषिमंडलस्तोत्र' ना आधारे करी छे। तेथी 'श्रीऋषि- . मंडलस्तोत्र' ना श्लोको सरखामणी माटे योग्य स्थळे नीचे टिप्पणीमा रजू करीए छीए। उपरना श्लोकने 'श्रीऋषिमंडल20 स्तोत्र' ना नीचेना श्लोको साथे सरखावी शकाय: . सुवर्णे रौप्ये पटे कांस्ये, लिखित्वा यस्तु पूजयेत् / तस्यैवाष्टमहासिद्धिगैहे वसति शाश्वती // 88 // भूर्जपत्रे लिखित्वेद, गलके मूर्ध्नि वा भुजे। धारितं सर्वदा दिव्यं सर्वभीतिविनाशकम् // 89 // * यन्त्रं मन्त्रमयं प्रोक्तं, मन्त्रात्मा दैवतैव हि / देहात्मनो यथा भेदो, यन्त्रदेवतयोस्तथा // -सुभाषितम् अनुवादः-यन्त्रने मंत्रमय कयुं छे / मन्त्रनो आत्मा (अधिष्ठाता) देवता ज छ / यन्त्र अने देवतामां देह अने आत्मा जेवो भेद अने अमेद छे। 30 + यंत्रनो प्रस्तार त्रण प्रकारे थाय छे : ...(1) भौम प्रस्तार-(निर्णीत परिमाणना) धातुना पतरानी, चांदीना पतरानी के चंदन अगर काष्ठना फलकनी (पाटियानी), भूर्जपत्रनी के कापडना पटनी अथवा कागळनी पीठ उपर यन्त्र आलेखाय अथवा चिं तराय ते 'भौम प्रस्तार' छे।
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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