________________ शुद्धिपत्रक 335 चरमशरीरनी अचरमशरीर स्वयं साधयत्येव ध्याननां स्यु विज़म्भन्ते 235 240 250 त्वमीक्ष्णम् तरंगिण्य ह भ म् स् अस् याशीयम् // कृतक्रतुः अती(नि)न्द्रियो महाहन्त्य आर्हन्त्यलक्ष्मी आपने / धर्मसम्यक् दिक्कुमारी पृष्ठ पंक्ति - अशुद्ध 231 28 चरमशरीरीनी 231 29 अचरमशरीरी 232 14 स्वय 2338 साध्यत्येव 16 ध्यानां 238 238 16 विजृम्भते 17 तेंना 242 8 त्वभीक्ष्णाम् 243 2 तरंगिण्या 4 ह अम् स् अ . 250 5. “याक्षीयम्" ॥स्॥ 253 1 ऋतक्रतुः 253 36 अतीन्द्रियो .258 4. महार्हत्य . 258 13, आईत्यलक्ष्मी 26023. अपने 261 6 धर्मसम्य 262 3 दिक्कमारी० 264. 9 गाम्भीयर्वया० .. 268 19 अपाने 23 जणावणारा 278 11 ताङ्नेि 279 18 विरहमान . 283. 27 काय? 286 . 29 °सनः छत्र 287 32 पिताः 15 बृहतीपतिः 16 देवोपदिष्टा 22 गुणोगुणः 23 विद्या / 33 वृत्ताग्रयुग्मः 4 विजीवधनः '". .4 सुगन्धि 295 15 वैभव 296. 6 विविक्ते देशे 307 3 सम° / 3105 °मूलधातन. . 3108 मोहनछिदुन 310 27 हु गाम्भीर्यवर्या आपने जणावनारा ताने विहरमान शकाय? सनश्छत्र पिता बृहतां पतिः देवोपदेष्टा गुणोऽगुणः ऽविद्या वृत्ताग्रयुग्यः चिजीवधनः सुसुगन्धि वैभव मुजब विविक्तदेशे सम° मूलघातन मोहच्छिदुन Gov.