SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 380
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 320 नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत... अनुवाद ___ आ प्रमाणे श्रावक स्वरूप कहीने हवे पहेलां कहेल दिनकृत्य, रात्रिकृत्य आदि छ कृत्योमार्थी प्रथम दिवसकृत्यनी विधि कहे छे: अर्थ-नवकार गणीने जागृत थर्बु पछी पोताना कुल नियमादिने संभारवा / त्यारबाद 5 प्रतिक्रमण करी पवित्र थई जिनमंदिरमा जिनेश्वरने पूजी पच्चक्खाण करतुं / ___ व्याख्या-" नमो अरिहंताणं" इत्यादि नवकार गणीने जागृत थयेलो श्रावक पोताना कुळ, धर्म, नियम इत्यादिकनुं चितवन करे।' इत्यादि प्रथम गाथार्धनुं विवरण आ प्रमाणे छ :उठवानो समय अने वहेला उठवाथी लाम श्रावके निद्रा थोडी लेवी / पछिली रात्रे पहोर रात्रि बाकी रहे ते वखते उठवू / तेम करवामां 10 आलोक संबंधी तथा परलोक संबंधी कार्यनो बराबर विचार थवाथी ते कार्यनी सिद्धि तथा बीजा पण घणा फायदा छे / अने तेम न करवामां आवे तो आलोक अने परलोक संबंधी कार्यनी हानि वगेरे घणा दोषो छ / लोकमां पण कर्तुं छे के : ___ अर्थ-कर्मकर लोको जो वहेला उठीने कामे वळगे तो, तेमने धन मळे छे; धर्मिपुरुषो वहेला उठीने धर्मकार्य करे तो, तेमने परलोकनुं सारं फल मळे छे; परन्तु जेओ सूर्योदय थया छतां पण उठता : 15 नथी, तेओ बल, बुद्धि, आयुष्य अने धनने हारी जाय छे // 1 // निद्रावश थवाथी अथवा बीजा कोई कारणथी जो पूर्वे कहेला वखते न उठी शके तो, पंदर .. मुहूर्त्तनी रात्रिमा जघन्यथी चौदमे ब्राह्ममुहूर्ते (अर्थात् चार घडी रात्रि बाकी रहे त्यारे) तो जरूर . उठवू जोईए। द्रव्य-क्षेत्र-काल अने भावनो उपयोग 20 उठतांनी साथे श्रावके द्रव्यथी, क्षेत्रथी, काळयी तथा भावथी उपयोग करवो / ते आ प्रमाणे : "हुं श्रावक छु, के बीजो कोई छु?" वगेरे विचार करवो ते द्रव्यथी उपयोग। "हुं पोताना घरमा छु के बीजाना घेर ? मेडा उपर छु के भोंयतळीये!" इत्यादि विचार करवो ते क्षेत्रथी उपयोग। - "रात्रि छे के दिवस छे ?" इत्यादि विचार करवो ते काळथी उपयोग। 25 “मन, वचन अथवा कायाना दुःखथी हुँ पीडायेलो छु के नहीं ?" वगेरे विचार करवो ते भावथी उपयोग। एम चार प्रकारे विचार कर्या पछी निद्रा बराबर दूर न थई होय तो, नासिका पकडीने निःश्वासने रोके / तेथी निद्रा तद्दन दूर थाय त्यारे द्वार (बारj) जोईने कायिकी चिंता वगेरे. करे। साधुनी अपेक्षाथी ओधनियुक्तिमां कडं छे के-" द्रव्यादिनो उपयोग करे, निःश्वासनो निरोध करे अने 30 बारणां तरफ जुए।" रात्रे कार्य प्रसंगे केवी रीते बोलवू या बोलावg. रात्रे जो कांई बीजा कोईने कामकाज जणावतुं पडे तो, ते बहु ज धीमा सादे जणावईं। ऊंचा स्वरथी खांसी, खुंखार, हुंकार अथवा कोई पण शब्द न करवो। कारण के तेम करवाथी गरोळी वगेरे हिंसक जीव जागे अने माखी प्रमुख क्षुद्र जीवोने उपद्रव करे, तथा पडोशना लोको पण जागृत 35 थई पोत पोताना कार्यनो आरंभ करवा लागे / जेमके, पाणी लावनारी तथा राधनारी स्त्री, वेपारी,
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy