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________________ 300 नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत परिचय प्रन्थकर्ता श्री जयतिलकसूरिजीना विषयमा खास माहिती उपलब्ध नथी। तेओ आगमिक गच्छना हता। श्रीचारित्रप्रभसूरिजीना शिष्य हता। श्री अमरकीर्ति गणीना बन्धु हता। मुनिश्री जिनेन्द्र प्रमुख तेमना शिष्यो हता। ग्रन्थकर्ता व्याकरण, काव्य, कोश, साहित्य, अलंकार, तर्क, आगम वगेरे अनेक 5 विषयोना पारगामी हता, ए हकीकत तो स्वयं प्रन्थ ज कही आपे छे। तेओए रचेलो 'मलयसुंदरीचरित्र' प्रन्थ पण चरित्रनी दृष्टिए सुंदर अने मनोहर छ / 'श्री हरिविक्रमचरित्र'नी प्रथम आवृत्ति सं. 1972 मां जामनगरना पं. श्री हीरालाल हंसराजे बार पाडी हती। ते पछी सं. 1911 मां शा. मणिलाल देवचंद, महेसाणा तरफथी प्रस्तुत ग्रंथ प्रकाशित करवामां आव्यो हतो। ए प्रन्थमाथी प्रस्तुत संदर्भ अहीं अनुवाद सहित आपेल छे। [76-31 (ब)] श्री नवतत्त्वसंवेदनान्तर्गतसंदर्भः अहं यत्प्राणिभिः पुण्यै-रुपायैरुपयाच्यते / तस्मै कल्याणकन्दाय, स्वानन्दाय नमो नमः // 1 // व्याख्या-अर्हमिति अहे योग्यं यद्वा पूज्यं अथवा परममन्त्राक्षरबीजं नादबिन्दुकलाज्योतिःकलितं, 15 यदि वा (यद्वा) अकारादिहकारपर्यन्तं वाङ्मयं आहोस्विद् अर्हमित्यक्षरस्य पञ्चपरमेष्ठिवाचकत्वेन अहंदादिरूपं यत्परमतत्त्वं प्राणिभिः पुण्यैः पवित्रैः पुण्यहेतुत्वेन वा पुण्यरुपायैर्गुरूपासना[दि]भिः कारणैरुपयाच्यते तस्मै परमतत्त्वाय कल्याणकन्दाय श्रेयःप्रभवाय स्वानन्दाय नमो नम इति सम्बन्धः // 1 // अनुवाद प्राणिओवडे (श्री जिनबिबादि) पवित्र उपायोवडे जे नी उपासना कराय छे ते मोक्षना उद्गम 20 स्थानभूत अने परमानंदमय एवा अर्ह ने पुनः पुनः नमस्कार करुं छु // 1 // परिचय नवतत्त्वसंवेदन प्रकरणमाथी 'नमस्कार स्वाध्याय' ने उपयोगी प्रस्तुत श्लोक, टीका अने अनुवाद सहित अहीं प्रगट करेल छे।
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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