________________ नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत नमो ध्यातशुक्लायभेदद्वयाय, नमस्ते तृतीयान्तरालस्थिताय / नमः शुक्ललेश्यास्थितौ निश्चलाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 83 // नमः केवलज्ञानसद्दर्शनाय, नमस्ते कृतार्हत्पदस्पर्शनाय / नमस्ते हताष्टादशाऽऽदीनवाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 84 // नमो जानते पश्यते सर्वलोकमलोकं तथैवाशु विद्वन्नमस्ते / नमो द्रव्यभावावबोधात्मकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 85 // नमस्तत्क्षणायातदेवासुराय, नमोऽनुत्तरद्धिप्रभाभासुराय / नमो रत्नरैरूप्यवप्रत्रयाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 86 // नमस्ते चतुर्दिग्विराजन्मुखाय, नमस्तेऽभितः संसदा सत्सुखाय / नमो योजनच्छायचैत्यद्रुमाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 87 // नमो योजनासीनतावञ्जनाय, नमश्चैकवाग्बुद्धनानाजनाय / नमो भानुजैत्रप्रभामण्डलाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 88 // शुक्लध्यानना प्रथमना बे पायाओनुं ध्यान करता आपने नमस्कार थाओ। ध्यानांतरिकामां (बीजा त्रीजा पायाना आंतरामां-१३ मे गुणठाणे) वर्तता आपने नमस्कार थाओ। शुक्ललेश्यानी 15 स्थितिमां निश्चळ एवा आपने नमस्कार थाओ // 83 // - केवळज्ञान अने केवलदर्शनवाळा आपने नमस्कार थाओ। अरिहंत पदनी स्पर्शना करनारा (तीर्थकर नामकर्मने धर्मोपदेश वडे वेदता) आपने नमस्कार थाओ। अढार दोषथी रहित एवा आपने नमस्कार थाओ॥ 84 // सर्व लोकने जोता अने जाणता आपने नमस्कार थाओ। तेवी ज रीते शीघ्रतः अलोकने 20 जाणता आपने नमस्कार थाओ। सकल द्रव्यो अने तेमना सकल भावोना अवबोधरूप आपने नमस्कार थाओ॥ 85 // जेमनी पासे तत्क्षण (केवळज्ञान थतां ज) सुरो अने असुरो आव्या छे एवा आपने नमस्कार थाओ। अनुत्तर एवी ऋद्धि अने प्रभाथी देदीप्यमान एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमना समवसरणमां रत्न, सुवर्ण अने रूपाना त्रण गढ छे एवा आपने नमस्कार थाओ॥८६॥ 25 जेमनु मुख चारे दिशाओमा शोमी रयुं छे (चतुर्मुख) एवा आपने नमस्कार थाओ। चारे दिशाओमां बेठेली पर्षदाने श्रेष्ठ सुख आपनारा आपने नमस्कार थाओ। समवसरण पर एक योजनप्रमाण छाया करनार अशोकवृक्षनी.नीचे शोभता एवा आपने नमस्कार थाओ॥ 87 // . जेमना समवसरणनी योजनप्रमाण भूमिमां करोडो जनो समाईने बेसी गया छे एवा आपने नमस्कार थाओ / एक ज वाणीथी अनेक जनोने जुदी जुदी रीते समजावनारा (वाणीना 35 गुणोवाळा) 30 आपने नमस्कार थाओ / सूर्यना तेजने जीतनार भामंडलवाळा आपने नमस्कार थाओ // 88 //