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________________ 270 नमस्कार स्वाध्याय . [संस्कृत नमस्तुल्यचित्ताय मोक्षे भवे वा, नमस्तुल्यचित्ताय जीर्णे नवे वा। .. नमस्तुल्यचित्ताय मेध्येऽशुचौ वा, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 71 // नमस्ते प्रभो ! मृत्युतो निर्भयाय, नमस्ते प्रभो ! जीविते निःस्पृहाय / नमस्ते प्रभो! ते स्वरूपे स्थिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 72 // . नमस्ते प्रभोऽनुत्तरक्षान्तिकत्रे, नमस्ते प्रभो! मुक्तिसम्भुक्तिकत्रे / नमस्ते प्रभो ! मार्दवाढ्यार्जवाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 73 // नमस्ते प्रभो ! सत्तपस्संयमाय, नमस्ते स्फुरब्रह्मणेऽकिञ्चनाय / (नमस्ते प्रभो ! सत्यशौचान्विताय), नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 74 // नमस्ते प्रभो ! युक्तिमनिर्णयाय, नमो गुप्तवाकायचेतस्त्रयाय / नमो धर्मसद्धथानतानैकताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते / / 75 // नमः श्रेणिमारोहते निष्प्रपातं, नमस्तन्वते सप्तदृग्मोहघातम् / नमस्ते प्रभो ! निर्गतायुस्त्रयाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 76 // 10 मोक्ष के संसारमा समान चित्तवाळा आपने नमस्कार थाओ। जीर्ण के नवीनमा समान चित्तवाळा आपने नमस्कार थाओ। पवित्र के अशुचिमा सम चित्तवाला एवा आपने नमस्कार 15 थाओ // 71 // मृत्युथी निर्भय एवा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ। जीवितमां पण स्पृहा विनाना एवा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ। स्वरूपमां स्थित एवा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ // 72 // अनुत्तर क्षांति (क्षमा) ने करनारा (धरनारा) एवा हे प्रभो ! आपने नमस्कार थाओ। निर्लोमिता सुखने करनारा (अनुभवनारा) एवा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ। मृदुताथी सहित ऋजुतावाळा 20 एवा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ॥७३॥ श्रेष्ठ तप अने संयमवाळा हे प्रभु! आपने नमस्कार थाओ। श्रेष्ठ ब्रह्मचर्यवाळा तथा अकिंचनता वाळा एवा आपने नमस्कार थाओ। (सत्य अने शौचथी युक्त एवा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ) // 74 // युक्तिसंगत निर्णयवाळा हे प्रभो ! आपने नमस्कार थाओ। मन वचन ने कायाथी गुप्त एवा 25 आपने नमस्कार थाओ। श्रेष्ठ प्रकारना धर्मध्यानमा एकतान एवा आपने नमस्कार थाओ // 75 // ___ अप्रतिपातिनी (क्षपक) श्रेणि पर आरोहण करता आपने नमस्कार थाओ। सात प्रकारना दर्शनमोहनीयनो घात करता आपने नमस्कार थाओ। त्रण प्रकारना आयुःकर्म (देवायु, तिर्यंचायु अने नारकायु) नी सत्ताथी रहित एवा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ // 76 //
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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