SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 324
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 268 नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत नमस्ते प्रभो ! याप्ययानस्थिताय, नमस्तेऽवनाय प्रभो! प्रस्थिताय / नमस्ते शमस्पृग्मनःसुस्थिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 59 // नमो यानधुर्याभवद्वासवाय, नमो दूरविक्षिप्तगर्वासवाय / नमः शुद्धभावावरुद्धाश्रवाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 60 // . . नमस्तेऽग्रगच्छन्महेन्द्रध्वजाय, नमस्तेऽप्रगच्छद्रजाश्वबजाय / नमस्तेऽभितःसञ्चरद्राजकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 61 / / नमोऽमर्त्यसकीर्णितोवतिलाय, नमो देवदीप्यन्नभोमण्डलाय / नमस्ते नददिव्यतूर्यत्रिकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 62 // नमो दीपरत्नप्रभाडम्बराय, नमो बन्दिशब्दोर्जिताशाम्बराय / / नमो नागरीनागरैर्वीक्षिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 63 // नमस्त्यक्तसर्वाङ्गिकाभूषणाय, नमो निर्गतत्रित्रिधादूषणाय / नमः पञ्चमुष्टयाऽलकोल्लुश्चकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 64 // दीक्षायोग्य वाहन(शिबिका)मा रहेला आपने हे प्रभो! नमस्कार थाओ। जगतना जीवोनुं रक्षण करवा माटे प्रस्थान करता (दीक्षा माटे वन तरफ जता एवा) हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ। 15 शान्तिमां मग्न मनना कारणे सुस्थित एवा आपने नमस्कार थाओ // 59 // जेमनी दीक्षाशिबिकाने इन्द्रोए वहन करी छे एवा आपने नमस्कार थाओ। गर्वरूपी मदिराने दर फेंकनार एवा आपने नमस्कार थाओ। शुद्ध भाववडे आश्रवोने रोकनारा आपने नमस्कार थाओ॥ 60 // दीक्षाना वरघोडामा जेमनी आगळ महेन्द्रध्वज चाले छे एवा अपाने नमस्कार थाओ। त्यारपछी 20 हाथीओ अने अश्वोना समूहो जेमना वरघोडामा चाले छे एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनी चारे बाजुए राजाओनो समूह चाले छे एवा आपने नमस्कार थाओ॥ 61 // . जेमनां दर्शनादि माटे ऊतरता देवो वडे पृथ्वीतल संकीर्ण थयु छे एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनां दर्शनादि माटे ऊतरता देवो वडे आकाशमंडल दीपी रयुं छे एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनी आगळ त्रण प्रकारना दिव्यवाजिंत्रो वागी रह्या छे एवा आपने नमस्कार थाओ॥२॥ 25 देदीप्यमान रत्न सदृश प्रभा वडे शोभता आपने नमस्कार थाओ। जेमना बंदीजनोए करेल 'जय जय' आदि शब्दोयी दिशाओ अने आकाश निनादित थया एवा आपने नमस्कार थाओ। नगरना पुरुषो अने स्त्रीओथी दर्शन कराता आपने नमस्कार थाओ // 63 // सर्व अंगोनां सर्व आभूषणोनो त्याग करता आपने नमस्कार थाओ। जेमना त्रिविध त्रिविध दूषणो नाश पाम्या छे एवा आपने नमस्कार थाओ। पांच मुष्टिवडे केशर्नु लुंचन करनारा आपने नमस्कार 30 थाओ॥ 64 //
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy