SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 323
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 267 विभाग] जिनसहस्रनामस्तोत्रम्। नमस्ते प्रभो ! दत्तदिव्याम्बराय, नमस्तेऽर्पितस्वर्णरत्नोत्कराय / नमो दीनदीनारधाराधराय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 53 // नमः प्रत्यहं यच्छते हेमकोटिं, नमो यच्छतेऽष्टौ.च लक्षाणि तेषाम् / नमो यच्छतेऽन्यद्यथेच्छं जनानाम् , नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 54 // नमस्ते वदान्यीभवन्मार्गणाय, नमस्ते धनापूर्णगेहाङ्गणाय / नमस्ते कृतानेककोटिध्वजाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते / / 55 // नमस्ते मनःकामकल्पद्रुमाय, नमस्ते प्रभो ? कामधेनूपमाय / नमस्ते निरस्तार्थिनामाश्रमा(या)य, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 56 // नमस्त्यक्तसप्ताङ्गराज्येन्दिराय, नमस्त्यक्तसत्सुन्दरीमन्दिराय / नमस्त्यक्तमाणिक्यमुक्ताफलाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते / / 57 / / नमस्तत्क्षणोपागतस्वर्धवाय, नमस्तस्कृतप्रौढदीक्षोत्सवाय / नमस्तत्र तत्तत्स्फुरद्वैभवाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 58 // 10 15 20 दिव्य वस्त्रो दानमां आपनार एवा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ / रत्न ने सुवर्णनां ढगलांओ दानमां आपनार आपने नमस्कार थाओ / दीन जनोने दीनाररूप' जलनुं दान देवामां मेघ समान एवा आपने नमस्कार थाओ // 53 // दररोज दानमा एक करोड ने आठ लाख सोनैया आपनार आपने नमस्कार थाओ। अर्थी जनोने इच्छा मुजब बीजं पण आपनार आपने नमस्कार थाओ // 54 // याचकोने माटे उदार दाताररूप थता एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनुं गृहाङ्गण धन वडे पूर्ण छे एवा आपने नमस्कार थाओ। अनेक जनोने कोटिध्वज करनार आपने वारंवार नमस्कार थाओ // 55 // मनोवांछित आपवाने कल्पवृक्ष सरखा आपने नमस्कार थाओ। मनोवांछित आपवाने कामधेनु / समान आपने नमस्कार थाओ। 'अर्थी' एवा नामना आश्रयनो निरास करनार आपने नमस्कार थाओ। (प्रभुए एटलं बधुं दान आप्यु के जगतमां कोई अर्थी ज रह्यो नहीं ! तेथी 'अर्थी' एवं नाम पण न . रां!)॥५६॥ ____सप्तांग राज्यलक्ष्मीनो त्याग करनारा आपने नमस्कार थाओ। सुंदर स्त्रीओथी युक्त एवा अन्तः- 25 पुरनो त्याग करनार आपने नमस्कार थाओ। मणिओ अने मोतीओनो त्याग करनार आपने नमस्कार थाओ // 57 // . . ___ दीक्षाना महोत्सव माटे जेमनी पासे तत्काळ इंद्रो आव्या एवा आपने नमस्कार थाओ। तेओए जेमनो प्रौढ दीक्षा महोत्सव कर्यो एवा आपने नमस्कार थाओ। त्यां (दीक्षा महोत्सवमां) ते ते प्रकारना दिव्य वैभवथी शोभता एवा आपने नमस्कार थाओ // 58 // 1 सिक्को। 2 स्वामी, अमात्य, सुहृत् , कोष, राष्ट्र, दुर्ग (किल्लो) अने सैन्य / 30
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy