________________ 260 नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत नमस्ते सुधासारनेत्राञ्जनाय, नमस्ते सदाऽस्मन्मनोरञ्जनाय / नमस्ते भवभ्रान्तिभीभञ्जनाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 11 // नमस्ते शुचिज्ञानरत्नाकराय, नमस्ते सतां कल्पकारस्कराय। नमस्ते जगजीवभद्रङ्कराय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 12 // नमो मण्डिताखण्डभूमण्डलाय, नमो भक्तिनमाखिलाखण्डलाय। नमो युक्तयोगाय योगीश्वराय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 13 // नमस्ते सदा सुप्रसन्माननाय, नमः सिद्धिसम्पल्लताकाननाय / नमो दत्तविद्वन्मनस्सम्मदाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 14 // नमस्तेऽवतीर्णाय विश्वोपकृत्यै, नमस्ते कृतार्थाय सद्धर्मकृत्यैः। .. नमस्ते प्रकृत्या जगद्वत्सलाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 15 // नमस्तीर्थकृन्नामकर्मार्जिताय, नमोऽचिन्त्यसामर्थ्यविस्फूर्जिताय / नमो योगिने योगमुद्रान्विताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 16 // अमृतना सार सादृश सम्यग्ज्ञानथी अमारा नेत्रोनुं अंजन' करनारा ! आपने नमस्कार थाओ। अमारा मननुं सदा रंजन करनारा आपने नमस्कार थाओ। भव भ्रमणना भयनो नाश करनारा आपने 15 नमस्कार थाओ // 11 // पवित्र ज्ञानना रत्नाकर एवा आपने नमस्कार थाओ। सज्जनोना वांछित पूरवाने कल्पवृक्ष समान आपने नमस्कार थाओ। जगतना जीवोनुं कल्याण करनारा आपने नमस्कार थाओ // 12 // ___ सकल भूमंडलना आभूषण समान आपने नमस्कार थाओ। भक्तिवडे नम्या छे सर्व इंद्रो जेमने एवा आपने नमस्कार थाओ। योगवडे युक्त अने योगीश्वर एवा आपने नमस्कार थाओ // 13 // 20 निरंतर सुप्रसन्न मुखवाळा आपने नमस्कार थाओ। सिद्धिसंपत्तिरूपकल्पलताना उद्यान समान आपने नमस्कार थाओ। विद्वानोना मनने अनुपम आनंद आपनारा आपने नमस्कार थाओ॥१४॥ विश्वना उपकार माटे अवतरेला आपने नमस्कार थाओ। सद्धर्मानुष्ठान वडे कृतार्थ थयेला अपने नमस्कार थाओ। स्वभावथी ज विश्ववत्सल एवा आपने नमस्कार थाओ // 15 // श्रीतीर्थंकर नामकर्म उपार्जित करनार आपने नमस्कार थाओ। अचिन्त्य सामर्थ्यवडे ओजस्वी 25 एवा आपने नमस्कार थाओ। योगमुद्रा युक्त एवा योगीश्वर आपने नमस्कार थाओ // 16 // 1 'उपमिति'कार भगवान् श्री सिद्धर्षिए आ अंजन माटे 'विमलालोक' शब्दनो प्रयोग कयों छे।