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________________ विभाग] जिनसहस्रनामस्तोत्रम् 259 नमस्तेत्र धार्थिनां धर्मबन्धो !, नमस्ते सतां पुण्यकारुण्यसिन्धो ! / नमस्ते निरुद्धातिदुष्टाश्रवान्धो !, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 5 // नमस्ते महस्विन् ! नमस्ते यशस्विन् !, नमस्ते वचस्विन् नमस्ते तपस्विन् ! / नमस्ते गुणैरद्भुतैरद्भुताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 6 // नमस्ते महात्मन् ! नमस्ते चिदात्मन् !, नमस्ते शिवात्मन् ! नमस्ते परात्मन् ! / 5 नमस्ते स्थिरात्मन् ! नमस्तेऽन्तरात्मन् !, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 7 // नमस्ते गुणानन्त्यमाहात्म्यधाम्ने, नमस्ते मुनिग्रामणे ध्येयनाम्ने / नमस्ते विशुद्धावबोधात्मकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 8 // नमस्ते भवप्रान्तरस्वर्दुमाय, नमस्ते कृतास्मन्मनोविश्रमाय / नमस्ते गलज्जन्ममृत्युश्रमाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 9 // नमस्ते सुधाधोरणीवल्लभाय, नमस्ते भवेऽस्मिन् भृशं दुर्लभाय / नमस्तेज लब्धाय पुण्यैः(ण्य) प्रकरैः, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 10 // 10 आ लोकमा रहेला धर्मार्थी जीवोना धर्मबन्धु ! आपने नमस्कार थाओ। सत्पुरुषोने माटे पुण्य अने करुणाना सिंधु हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ। अतिदुष्ट एवा आश्रवोरूपी अंधकूपमां पडता प्राणीओने रोकनार (पडवा नहीं देनार) हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ // 5 // 15 * महस्विन् ! (महातेजवाळा) ! आपने नमस्कार थाओ। यशस्विन् ! आपने नमस्कार थाओ। वचस्विन (पांत्रीश गुणोथी युक्त वचनवाळा)! आपने नमस्कार थाओ। तपस्विन् ! आपने नमस्कार थाओ। अद्भुत गुणोवडे अद्भुत (सर्वोत्तम गुणवान) एवा आपने नमस्कार थाओ // 6 // महात्मन् ! आपने नमस्कार थाओ। चिदात्मन् ! आपने नमस्कार थाओ। शिवात्मन् ! आपने नमस्कार थाओ। परमात्मन् ! आपने नमस्कार थाओ / स्थिरात्मन् ! आपने नमस्कार थाओ। अन्तरात्मन् ! 20 आपने नमस्कार थाओ॥७॥. अनन्त गुण अने अनन्त माहात्म्यना धाम ! आपने नमस्कार थाओ। मुनि समूहना अधिपति! ध्यान करवा लायक नामवाळा हे प्रभो आपने नमस्कार थाओ। विशुद्ध ज्ञानमय आपने नमस्कार थाओ // 8 // भवरूप अरण्यमां आश्रय लेवा माटे कल्पवृक्ष समान आपने नमस्कार थाओ। अमारा मनने 25 विश्राम आपनार आपने नमस्कार थाओ। जन्म अने मरणना श्रमथी रहित आपने नमस्कार थाओ॥९॥ अमृत तुल्य गोष्ठी करनारा भव्य जीवोना वल्लभ एवा आपने नमस्कार थाओ। आ भवमां अत्यन्त दुर्लभ छे दर्शन जेम एवा आपने नमस्कार थाओ। पुण्यना प्रकर्षवडे प्राप्त थयेला एवा आपने नमस्कार थाओ // 10 //
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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