________________ श्रीरत्नचन्द्रगणिविरचितः मातृकाप्रकरणसंदर्भः। अर्हन्तोऽजा अथाचार्या उपाध्याया मुनीश्वराः। मिलित्वा यत्र राजन्ते, तद् 'ॐ कारपदे मुदा (दं मतम्) अ अ आ उ म् // (272) // 1 // बीज-मूल-शिखांकास्न्यमेकक-त्रि-त्रि-पञ्चभिः। अक्षरैः ॐ नमः सिद्धं', जपानन्तफलैः(लं) क्रमात् // . ॐ 1 / ॐ नमः 2 / ॐ सिद्धम् 3 / ॐ नमः सिद्धम् 4 ___ॐ इत्यनुवर्तते // 2 // नन्ता हन्त ! भवत्येको भवत्येकश्च शंसिता। शंसिता लभते कामान् , नन्ता लभति वा न वा // 3 // अनुवाद अरिहंत, अज, आचार्य, उपाध्याय अने मुनि ए पांचे ज्यां सम्मिलित रीते शोमे छे, तेने 15 विद्वानो ॐकार पद कहे छे। (पांचे नामोना प्रथम अक्षरोनी संधि थी ॐकार निष्पन्न थाय छे) // 1 // 'ॐ नमः सिद्धम्' ए मंत्रमा त्रण पद छे। पहेल्लु पद जे एकाक्षर ॐ ते प्रणव छे अने ते मंत्र- 'बीज' छे। पहेलं अने बीजुं पद 'ॐ नमः' त्रण अक्षरवाळु छे ते मंत्र- 'मूल' छे अने त्रीजुं पद 'ॐ सिद्धम्' पण त्रण अक्षरवाळु छे ते मंत्रनी 'शिखा! छे; आखो सळंग अथवा संपूर्ण मंत्र 'ॐ नमः सिद्धम्' पांच अक्षरनो छ। ए प्रमाणे अक्षरना विभागथी अनुक्रमे चार प्रकारे जो 20 मंत्रनो जाप थाय तो ते अनन्त फल आपनार थाय छे // 2 // " एक नमे छे अने बीजो प्रशंसा (अनुमोदना) करे छे, प्रशंसक इच्छित वस्तुने अवश्य पामे छे; नमनार पामे अथवा न पामे ! // 3 // 1 धारो के मंत्रनो 12500 संख्या प्रमाण जाप करवानो होय तो पहेलां 'बीज' एटले केवल ॐकारनो 12500 संख्या प्रमाण जाप करवो; पछी 'मूल' एटले 'ॐ नमः' नो 12500 संख्या प्रमाण जाप 25 करवो पछी 'शिखा' एटले 'ॐ सिद्धम् ' नो 12500 संख्या प्रमाण जाप करवो अने अंते संपूर्ण मंत्र 'ॐ नमः सिद्धम्' नो पण 12500 संख्या प्रमाण जाप करवो। आ प्रमाणे जाप करवाथी प्रयास अने परिश्रम वधे पण फळ अनंतगुगुं थाय छे // 2 //