________________ विभाग] पंचनमस्कृतिदीपकान्तर्गतनमस्कारमन्त्राः 215 .. ताव उतारवानो मंत्र-ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं' वगैरे पांचे पदोने ऊलटा क्रमे ॐकार तेम ज हीकारपूर्वक बोलवा। ए प्रकारे मंत्रनो जाप करीने वस्त्रने गांठ देवी अने ते वस्त्र जेने ताव आवतो होय ते माणसने ओढाडी देवाथी ताव उतरी जाय छे, परंतु वस्त्र खास करीने नवु होवू जोईए; एम कहेलं छे // 30 // पिस्तालीश अक्षरनी विद्या-'ॐ ही नमो अरि०' थी 'साहूणं' सुधीनी पिस्तालीश अक्षरोनी 5 आ विद्या छे / न संभळाय ए रीते एनो जाप करवो / दुष्ट मनुष्यो अने चोर वगेरेनुं संकट आवी पडतां, महा आपत्तिना स्थानमा शान्तिने माटे अथवा वरसाद लाववा माटे आ मंत्रनो उपांशु जाप करवो जोईए। पांचे नामो (अरिहंतादि)ना आदि पदोनो ('अ सि आ उ सा' नो) पंचपरमेष्ठी मुद्रावडे .जाप करतां समग्र क्षुद्र उपद्रवोनो नाश थाय छे अने कर्मनो क्षय थाय छे // 31 // देवगणि विद्या (गणि विद्या)-ॐ अरिहंतथी नमः सुधीनो मंत्र ए देवगणि (गणिविद्या) 10 नामथी कहेवाय छे / तेनो सरस्वतीदेवीना मंदिरमा 108 वार जाप करवो / जाप कर्या पछी सर्व कार्योमां सिद्धि अने विजय आपे छे॥ 32 // .... चोरनो भय दूर करवानो मंत्र—आ मंत्रथी मंतरेला वस्त्रमा गांठ बांधवी। पछी गमे तेवा मोटा जंगलमां पण चोरनो भय लागतो नथी // 33 // सर्प वगेरेनां झेर दूर करवानो मंत्र-आ मंत्रथी सर्प वगेरेनां विष नाश पामे छे // 34 // 15 , साप, वींछी, उंदर वगेरेने दूर करवानो मंत्र--आ मंत्रथी साप, वींछी, उंदर वगेरे दूरथी नासी .जाय छे // 35 // बंदीवानने मुक्त बनाववानो मंत्र-पांचे पदोना वर्णोने ऊलटा क्रमे बोलवाथी-जाप करवाथी बंदीवान छूटी जाय छे। बीजा कार्योमां आ मंत्रनो जाप न करवो। बीजां कार्योमां कारण विशेष बलवान होय छे, एवो न्याय छ। शान्तिकर्म वगेरे कार्यो, बंदीने छोडाववा रूप कार्यथी जुदा स्वरूपना छे / 20 तेथी छूटो माणस बंधाई जाय अने बंधायेलो छूटे एवं आ मंत्रनुं फळ छे (?) // 36 // . सर्वकर्मसमूहदायक मंत्र-आ कळियुगमां--पंचम काळमां पण आ मंत्र समप्र कृत्यकारी कर्मोनो समूह आपे छे / (अर्थात् एनाथी शांतिक, पौष्टिक, वशीकरण इत्यादि कार्यों थाय छे) // 37 // परिचय 64-19 विभागमा जे परिचय आपेल छे ते ज प्रमाणे समझो।