________________ विभाग] पञ्चनमस्कृतिदीपकसंदर्भ अपवित्रे पवित्रेऽपि, सुस्थिते दुःस्थितेऽपि वा। यत् सर्वकृत् परं मन्त्रं, न त्याज्यं विबुधैरिह // 18 // इदं चित्रं महत् स्याच, मोक्षदं यद् वशीकृतिप्रमुखानि च कर्माणि, चेप्सितानि ददाति नु // 19 // यमो मुनिर्महामूर्यो, मन्त्रपादैकजल्पनात् / भूयो भूयः पदध्यानात, सातर्लीः प्राप्तवान् किमु // 20 // अथ साधनमाहपूर्वा ककुप् पुष्पमाला, शुक्ला पयासनं वरम् / बोधमुद्रा मोक्षमुद्रा, कालः प्रभात इष्यते // 21 // क्षेत्रं शुद्धं तटाकादितीरं द्रव्यं मनोहरम् / .. भावो मन्त्रलयो ज्ञेयः, स्वेष्टपल्लवयोजनम् / / 22 // . कर्म मोक्षप्रधानं स्याद्, गुणः श्वेतस्य चिन्तनम् / सामान्यं मूलमन्त्रं स्याद्, विशेषस्तत्परो मतः // 23 // पूजाद्रव्यं कुङ्कुमं च, सदकं चरुसंचयम् / रत्नदीपकं वामे च, धूपकुण्डं च दक्षिणे // 24 // अपवित्र के पवित्र, सुस्थित के दुःस्थित व्यक्ति विषे पण जे सर्व कार्यकर श्रेष्ठ मंत्र छे, तेनो। डाह्या माणसोए त्याग न करवो जोईए // 18 // ए भारे आश्चर्य छे के जे (मन्त्र) मोक्ष आपनार छे ते ज वशीकरण वगेरे कर्मो (करी आपे छे) .अने वळी वांछितो ने पण आपे छे // 19 // यम नामना मुनि (आ) मंत्रना एक पदना जल्पथी, अने वारंवार ए पदनुं ध्यान करवाथी 20 साचे ज शाता अने ऋद्धिओ पाम्या हता (?) // 20 // साधनप्रकार 'पूर्व दिशा, श्वेत पुष्पनी माळा, श्रेष्ठ पद्मासन, बोध(ज्ञान)मुद्रा अथवा मोक्षमुद्रा अने समय प्रभातनो होवो जोईए // 21 // ... क्षेत्र-स्थान शुद्ध-स्वच्छ एवं तळाव वगेरेना कांठागें, (नैवेद्य आदि) द्रव्यो सुंदर, भाव मंत्रलयनो 25 अने पोताने इष्ट एवा पल्लवनी योजना करवी // 22 // . ___ कर्म मोक्ष-प्रधान होवू जोईए, श्वेतवर्ण, चिंतन (श्वेत वर्णमां ध्यान) ते गुण छे, मूलमंत्र ते सामान्य छे अने तत्परता ते विशेष कहेवाय छे // 23 // .. पूजा द्रव्य, कुंकुम, सदक-एक जातनुं फळ (8) चरुसंचय-एक प्रकारचें पात्र (!) डाबी बाजुए रत्नदीपक अने जमणी बाजुए धूपकुंड करवो // 24 // .. 1 अहींथी अनुक्रमे दिग्-आसन-मुद्रा-काल-क्षेत्र-द्रन्य-भाव-पल्लव-कर्म-गुण-सामान्य-विशेष बगेरेनुं वर्णन / 30