________________ 188 नमस्कार स्वाध्याय [संहस - परिचय श्रीकमलप्रभसूरिरचित जिनपञ्जरस्तोत्र अनेक स्थळे प्रसिद्ध थयु छे, छतां मुंबई श्रीशान्तिनाथजी जैन मंदिरना हस्तलिखित संग्रहनी प्रति नं. 267 नी एक शुद्ध प्रति अमने मळी हती तेना आधारे पाठमेदो लईने, अने मूलपाठ संशोधीने, अनुवाद साथे अहीं प्रगट करेल छे। . पंचपरमेष्ठी तेम ज चोवीश तीर्थंकरोनो शरीरमा कये कये स्थळे न्यास करवो अने ए प्रकारना न्यासनुं शुं फळ मळे, ते आ स्तोत्रमा जणाव्युं छे /