SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 171
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 5 [58-13] श्रीसिंहतिलकसूरिविरचितं लघुनमस्कारचक्रस्तोत्रम् // नत्वा विषुधचन्द्राय॑ यशोदेवं मुनिं गुरुम् / वक्ष्ये लघुनमस्कारचक्रं साह्लाददेवता // 1 // द्वयष्टरेखाभिरष्टारं सप्तभिर्दशभिः परम् / रेखाभिरष्टवलयं चक्रं तुम्बे जिनाक्षरः (रम् ?) // 2 // 'ॐ नमो अरिहंताणं' आद्यं पदचतुष्टयम् / अरमध्ये द्विरावर्त्य लेख्यं प्रणवपूर्वकम् / / 3 // पाशाङ्कुशाभयैः सार्द्ध वरदोरान्तरे' क्रमात् / लिख्यतेऽमुष्योपान्तेऽथ 'आँ को ही श्री ' चतुष्टयम् // 4 // प्राक् प्रणवो 'नमो लोए सव्वसाहूणं' इत्यपि / प्रथमे वलये लेख्यं प्राग्वत् पञ्चपदीफलम् // 5 // अनुवाद गणधरो अने देवेन्द्रोने पण पूज्य एवा श्री तीर्थंकर परमात्माने, श्री विबुधचन्द्र (आचार्य) ने तथा 15 पूज्य एवा गुरु श्रीयशोदेव मुनिने नमस्कार करीने प्रसन्न छे देवता जेना पर एवो हुं (देवतानी प्रसन्नताथी) 'लघुनमस्कारचक्र' कहुं छं // 1 // सोळ रेखाओ वडे आठ आरा आलेखवा, ए पछी सात अने दश रेखाओथी आठ वलयन चक्र करवू अने वच्चे तुंबमां जिनाक्षर (ऽई) लखवो // 2 // 'ॐ नमो अरिहंताणं' आदि प्रथमनां चार पदो आरानी मध्ये बे वखत आवर्त करीने प्रणव- 20 ॐकारपूर्वक लखवां // 3 // . बीजा ( खाली रहेला आंतरामां) आराओनी वच्चे ‘पाश, अंकुश, अभय अने साथोसाथ वरद' ए पदो लखवां, तेमज आराओनी समीपे 'ओँ को ही श्री' एम चारेयने लखवां // 4 // ..... प्रथम वलयमा पहेला (ॐपूर्वक) ॐ नमो लोए सव्वसाह्नणं' ए पद पण लखतुं / आ पांच पदोन फळ अगाऊ मुजब जाणवू // 5 // 25 १.रे लिख्यते /
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy