________________ 67 5 10 विभाग] . ऋषिमण्डलस्तवयन्त्रालेखनम् परिचय श्रीसिंहतिलकसूरिए रचेला आ स्तोत्रनी एक नकल स्व. श्री मोहनलाल भगवानदासना संग्रहमांथी मळी हती, बीजी प्रति पूना, भांडारकर रिसर्च इन्स्टिटयूटना संग्रह नं. 323, A 1882-83, त्रीजी नकल बुहारी, शेठ झवेरचंद पन्नाजीना संग्रहनी हती अने चोथी नकल मुनिराज श्री यशोविजयजी महाराजश्री पासेथी मळी इती। आ चारमाथी त्रण प्रतिओनी हाथनकल हती ज्यारे एक पूना, भां. रि. इ. नी मूल हाथपोथी हती, एटले पाठ लेवानुं काम मुश्केल हतुं / चारे प्रतिओना केटलाक अशुद्ध श्लोकोने भाषानी दृष्टिए सुधारी अनुवाद, विवरण अने तुलना-श्लोको साथे अहीं प्रगट करेल छ / श्रीसिंहतिलकसूरिए आ स्तोत्रमा खास करीने यंत्रनी रचना उपर प्रकाश पाडयो छे। यंत्रनो मूलमंत्र, आराधना अने फलादेश पण जणाव्या छ / आ स्तवन प्रसिद्ध 'ऋषिमंडलस्तोत्र' ना आधारे रचायेलं छे / 'ऋषिमंडलस्तोत्र' मां यंत्ररचना विशे जे अस्पष्ट निर्देश छे तेनी श्री सिंहतिलकसूरिनी आ रचनाथी स्पष्टता थाय छे। ए दृष्टिए आ स्तोत्र अतीव उपयोगी जणाय छे। वळी ऋषिमंडलस्तोत्रकारे तीर्थंकरोनी प्रभाना महिमा माटे 31 थी 76 श्लोकोनो विस्तार आप्यो छे तेने श्री सिंहतिलकसूरिए एक ज श्लोकमां संग्रही लीधो छ। एवो संग्रह केटलेय स्थळे जोवाय छे, ते तेनी तुलना करतां जणाई आवे छे। ए रीते ऋषिमंडलस्तोत्रना 98 श्लोकोने 15 श्रीसिंहतिलकसूरिए 36 श्लोकोमा समावी लीधा छे / वळी हीकारमा चोवीश तीर्थंकरोनी स्थापना उपरांत श्रीसिंहतिलकसूरि पंचपरमेष्ठीनी स्थापनानी विशेषता तेमना ‘परमेष्ठिविद्यास्तवयन्त्र' अने 'मन्त्रराजरहस्य' अनुसार आमां समावी दे छे / संक्षेपमा नाद, बिंदु, कला, शीर्षक अने दीर्घकलारूप हीकारना अंशो ऊपर श्रीसिंहतिलकसूरिए सारी स्पष्टता करी छे अने विविध आम्नायोनो निर्देश पोतानी कृतिओमां को छ / ए कृतिओ प्रस्तुत ग्रंथमा अन्यत्र अमे प्रगट करी छ। . 20 .. ऋषिमंडलस्तोत्र अनुसार रचायेला अनेकविध ऋषिमंडलयंत्रो अने हीकारयंत्रोमां एकसरखो मेळ देखातो नथी, ते माटे आ स्तोत्र स्पष्ट खुलासो आपे छे ए ज आ स्तोत्रनी विशेषता छ। श्रीसिंहतिलकसूरिनी रचनाथी एटलं स्पष्ट थाय छे के, तेमनी सामे रहेलु ऋषिमंडलस्तोत्र तेमनी विद्यमानता वि. सं. 1332 पहेलांनुं तो छे ज। ए ज स्तोत्रना आधारे दिगंबर जैनाचार्य श्रीविद्याभूषणसूरिए ऋषिमंडलस्तोत्रनी 85 उपजातिवृत्तमां करेली रचना पण प्रसिद्ध थयेली छ / 25 . आ स्तोत्रनी तुलना माटे टिप्पणीमां अमे 'ऋषिमंडलस्तोत्र'ना सरखा भाववाळा श्लोको नोंध्या छे ते वाचकोने उपयोगी थई पडशे।