________________ विशेषटिप्पणानि [489 पृष्ठ पनि कस्य मतः कस्मिन् ग्रन्थे 351 352 354 2 . अन्ये 354 14 . अन्ये दुर्गादासः (श. क. पृ 259) क्षीरस्वामी (.क्षी.त.पृ.३०९) एके अन्ये एके एके क्षीरस्वामी (क्षी. त. पृ. 308) ( , " 309) एके एके क्षीरस्वामी (क्षी. त. पृ. ३०७)दुर्गादासः(श. क. पृ.२५९) 354 अन्ये एके एके 355 355 एके एके पके क्षीरस्वामी (श्री. त. पृ. 308) शाकटायन (मा. धा. पृ. 567) 356. दशमं परिशिष्टम विशेष टिप्पणानि 1 पृ. 34 / पंक्ति 3, गुञ्जितं सिंहादौ- तुलना, गुञ्जितं भ्रमरादौ, गृश्चितं सिंहादौ इत्यादि / क्षी. त. पृ. 69 // 2 41 / 16 स्तन- “स्तन-ध्वन-स्वन-स्यम-षम-टमाः षड़ ये भ्वादौ व्यञ्जनान्ताः कथिताः सन्ति ते षडपि अदन्ताः इति सभ्या" / न्याय० न्या० पृ. 192 / / 3 41 / 18 अभिनिष्टानो-तु० अभिनिष्टानो क्षी. त. पृ. 70 // 4 62 / 10 शश-शशण इति अयमधिको धातुः सूर्यप्रज्ञप्तिवृत्तावुक्तोऽस्ति / न्याय० न्या० पृ 192 / / 5 71 / 14 कलां-तुलना -मासे मासे हि ये बालाः कुशाग्रेणैव भुञ्जते / सन्तुष्टोपासकानां ते कलां नाईन्ति षोडशीम् / योगशास्त्र स्वो० टीका पृ. 424 // 6 75 / 1 कटप्पू-तु० 'कटपूर्नदीतारः' क्षी. त. पृ. 146 // 7.79 / 6 आरेकं-तु० 'आरेकं संशयं प्राहु.' क्षी. त. पृ. 28 // 8 83 / 16 आनृ -तु० आनृजे क्षी. त. पृ. 36 //