________________ षष्ठं परिशिष्टम ग्रन्थकारा इमे सर्वे हेमाचार्येण संस्मृताः / आर्याः पृ. 59 / पं. 10 देवनन्दी 341 / 18,20 कण्वः 37 / 3, 46 / 1, 66 / 5 'द्रमिलः 35 / 24, 208 / 2, 232 // 26, . कौशिकः 1012, 28 / 25, 35 / 24, 46 / 13, 256 / 24, 257 / 10,318 / 13 53 / 14, 62 / 1, 81 / 1, 89 / 11, 1. नन्दी 122 122, 154 / 8, 216 / 26, 15, 92 / 4, 94 / 15, 96 / 11, 294 / 15, 316 / 2, 319 / 14, 132 / 16, 153 / 3, 184 / 14, 320 / 10, 323 / 16, 325 / 26, 22,309 / 15, 317 / 2,319 / 20, 329 / 5, 331 / 15, 335 // 23, . . 328 / 17, 329 / 17, 335 / 23 346 / 22, 352 // 6. पारायणिकः 103 / 2 गुप्तः 47 / 3 पूर्वाचार्य 129 / 5, 135 / 23, 145 / 19, चन्द्रः 45 // 1, 53 / 7, 72 / 22, 91 / 9, 109 / 6, 109 / 16, 154 / 4, 152 / 1, 161 / 3 277 / 8, 308 / 7, 315 / 15, पूर्वः 38 // 14, 309 / 7, 326 / 2 321 / 4, 327 / 5, 334 / 6, 347 / 15, भीमसेनीयाः 36 / 2 चान्द्राः 53 / 7, 313 / 9, 333 / 12, वामनः 10 / 4, 100 / 19, 128 / 5, 338 / 8, वृद्धाः 1 / 15, 97 / 20 चारकाः 64 / 10 शिवः 173 / 3, 287 / 21 जयकुमारः 8 / 18 सभ्याः 199 / 24, 345 / 4 सप्तमं परिशिष्टम आचार्यहेमचन्देण ग्रन्था उल्लिविता इमे / अमरकोशः 318 // 22 भाष्यम् 3 / 13, 51 / 17 चान्द्रं पारायणम् 355 / 3 वाचकवार्तिकम् 40 // 18, 204 / 9 धातुपाठः 36 / 1 पारायणम् 33312 स्मृति: 9219 1 क्षीरतरङ्गिण्यां 'कण्व' स्थाने कण्ठ इति पाठ उपलभ्यते / पृ. 24 / 3, 46 / 1, 66 / 5 / / 2 क्षीरतरङ्गिण्यां 'द्रमिल' स्थाने द्रमिड इति पाठः दृश्यते / पृष्ठ 22 / 6, 198 / 11, 207 / 18, 252 / 6, 236 / 5,