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________________ पञ्चमं परिशिष्टम् / स्वर्ग 1,21 उ. स्वगाय 1,994 स्वर्तृ 1,21 स्वर्दित 1,730 स्वसू 3,78 उ. स्वाढचंभव 1,1 स्वादु 1,729 उ. स्वादुकारम् 1,888 स्वान् 1,123 स्वान 1,327 स्वान्त 1,327 स्वाप 2,30 स्वित्वन् 2,17 स्वनू 1,488 स्विनोमन् 1,488 स्वे 2,17 स्वेत्तृ 3,35 स्वेद 1,946 स्वेदितृ 3,35 स्वेन 1,488 स्वेमन् 2,17 स्वेवन् 2,17 स्वैरिन् 2,57 स्वोमन् 1,800 / हतु 2,42 उ. हव 1,994 / 2,72 च .. हर्तृ 1,728 हविस् 2,72 उ. हत्या 2,42 . हव्य 2,72 हत्याभूय 1,1 हस 1,545 उ. हथ 2,42 उ. हसित 1,545 हदन 1,728 हस्त 1,549 उ. हनि 2,42 उ. हस्तग्राहम् 8,10 हस्तबन्धम् 8,45 हन्तृ 2,42 हस्तवर्तम् 1,955 हम्मितृ 1,394 हस्तिघात 2,42 . हय 1,397 / 4,10 हस्तिघ्न 2,42. .. हयितृ 1,397 हस्र 1,545 हयी 1,397 / 4,10 हाटक 1,888 हयुषा 1,397 उ. हातृ 2,73,78 हरि 1,885 उ. हानि 2,42 उ. 73 हरिण 1,885 उ. हायन 2,73,78 हरित् 1,885 उ. हाल 1,977 हरित 1.885 उ. हाला 1,977 हरिछ 1,13 उ. हाव्य 2,72 हरिमन् 1,885 उ. हास 1,545 हरीमन् 1,885 हिंस 6,22 हरेणु 1,885 उ. हिंसक 6,22 हर्तृ 1,885 (उ.) हिंसा 6,22 हर्यितृ 1,398 हिंसित 6,22 हर्षयित्नु 1,535 उ. हिंसित 6,22 हर्षितृ 1,535 / 3,71 हिंसीन 6,22 उ. हर्षल 1,535 उ. / 3,71 उ. हिंसीर 6,22 उ. हल 1,977 हिंस्त्र 6,22 हलाहल 1,977 . हिका 1,889 हलि 1,977 उ. हिक्ति 1,889 / हलित 1,977 | हिडम् 1,1035 च . हंस 2,42 उ. हठ 2,17 हडि 1,977 [उ.]
SR No.004315
Book TitleDhatuparayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMunichandrasuri
PublisherShahibag Girdharnagar Jain S M Sangh
Publication Year1979
Total Pages532
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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