________________ 382 मूलस्थपद्यान्तर्गतसूत्राणामनुक्रमणिका वा व्यायचान्त्याद्यचः // 2 / 2 / 2 / 8 / / वास्तव्यकर्ता // 4 / 1 / 18 / 1 // वा द्रुश्रुत्रुच्युङः पुप्लुङः // 3 / 4 / 6 / 29 / / वाऽस्मत्वविशेष्यः // 1 / 2 / 23 / 7 / / वा द्रुहाम् // 1 / 2 / 12 / 9 / / वाऽहहैवचैः // 1 / 2 / 16 / 8 // वा धा त्वदूरे बहुतः // 2 / 3 / 5 / 6 / / वाहादिभिर्जीवति // 3 / 2 / 12 / 5 / / वानञलङ्खलौ क्त्वा // 4 / 1 / 18 / 5 / / वाहिकेऽविप्रराजन्याज्यट् // 2 / 3 / 13 / 1 / / वाऽनद्यहिप् // 2 / 3 / 9 / 6 / / वाहिकेभ्योऽण् // 3 / 1 / 3 / 4 / / वा नयः // 1 / 2 / 18 / 18 / / ह्नांपतिष्वः // 101 / 15 / 8 / वान्तसंख्याततोऽह्नः // 1 / 4 / 7 / 3 // विकार // 2 / 4 / 3 / 3 // वा पित्र्यम् // 3 / 1 / 8 / 6 / / विकाररक्ते // 2 / 1 / 3 / 1 // वाऽऽपो लघोडें // 3 / 4 / 9 / 8 / / विक्रमोश्च शूच्छ्वौ // 3 / 4 / 22 / 7 / / वा प्राणिरङ्कोः // 3 / 1 / 2 / 3 / / वि चतुष्पदि त्वपाद् हृष्टान्न...॥३।४१५।२।। वा भिय इत् // 4 / 2 / 1 / 2 / / विजः // 3 / 4 / 178 // वा भू यि // 3 / 4 / 9 / 4 / / विट्सन्क्रवनजङ्गमः // 4 / 1 / 11 / 2 / / वा म // 1 / 2 / 14 / 12 // विण्डुघभजुहिभ्याम् // 4 / 1 / 9 / 10 / / वा महत्कोः // 114 / 6 / 2 // विद्वांश्च // 4 / 1 / 21 / 9 / / वा बह्वपि सुपा // 1 / 2 / 23 / 10 / / विधिप्रार्थने सम्प्रश्ने च // 4 / 2 / 9 / 2 / / वाऽरच्यत् // 3 / 4 / 12 / 12 / / विनस्स्रजाद्यमायातः // 3 / 3 / 9 / 6 / / वा B // 1 / 2 / 22 / 1 / / विन्मत् // 2 / 2 / 2 / 6 / / वा !H // 4 / 2 / 2 / 8 / / विमुक्ततो गोषदतस्तु // 3 / 3 / 12 / 1 / / वा सुत उ पदतः // 1 / 2 / 12 / 2 / / विरामोऽस्य // 1 / 17 / 2 / / वा लि स्ति हन्दृस्त्रहावः // 4 / 2 / 16 / 7 / / विशदृशो गम्हन्विदो वा // 3 / 4 / 11 / 14 / / वाऽल्पे तु // 1 / 4 / 10 / 4 // विशेकाष्टषिस्ध्वि वा..॥१।२।११।८।। वा वञ्चि तद्देवयोः .... // 2 / 1 / 5 / 7 / / विंशतिकात् // 3 / 2 / 6 / 5 / / वा वयःस्थानपूज्ये सपिण्डे.....॥२३।१६।५।। विशतितस्तमड़ वा // 3 / 3 / 3 / 3 / / वा वर्तिका स्याच्छकुनौ // 1 / 3 / 7 / 3 / / विंशतौ. तादि // 2 / 2 / 4 / 3 // वा शरि // 1 / 1 / 16 / 1 // वुक् चाचि भ्वः // 3 / 4 / 10 / 6 / / वा शूर्पतः // 3 / 2 / 6 / 4 / / वुअणौ मनोज्ञहातृत्विजा.....।।३।३।५।५।।। वाऽश्न ईत्यात् // 1 / 2 / 2 / 3 / / वुड्ड शिल्पी नृत्खः रजः // 4 / 1 / 12 / 5 / / वाऽश्वाच्छः // 2 / 4 / 2 / 6 / / वृचोऽपि ठण् // 2 / 3 / 15 / 8 / / वा षोडैकध्यम् // 2 / 3 / 10 / 2 / / वृजिमद्रितः कः // 3 / 1 / 4 / 6 / / वाऽसंगतादेः // 3 / 3 / 4 / 8 // वृत्ते // 1 / 1 / 15 / 7 / / वा साऽपरार्थे बहुव्रीहीति // 1 / 4 / 1 / 5 // वृषाश्वस्य सुग्मैथुने // 3 / 4 / 16 / 5 / / वा सृतौ र्डस्तु पत्यौ स्वसास्यां च // 2 / 1 / 1 / 2 / / वेः // 1 / 1 / 15 / 7 / / * वा सौऽमि // 1 / 2 / 4 / 1 // वेड् // 3 / 4 / 18 / 3 / /