________________ परिशिष्ट 373 अत्ति . शेते अद् प्सा भक्षणे शीङ् स्वप्ने बूब् व्यक्तायां वाचि असु भुवि रुदिर अश्रुविमोचने विष्वप् शये श्वस प्राणने प्राण श्वसने जक्ष भक्षहसनयोः घूङ् प्राणिगर्भविमोचने हन हिंसागत्योः चक्षङ् व्यक्तायां वाचि ईश् ऐश्वयें, शासु अनुशिष्टौ दीघीङ् दीप्तिदेवनयोः वेवीङ् वेतनातुल्ये ब्रवीति, ब्रूते अस्ति रोदिति स्वपिति श्वसिति प्राणिति जक्षिति हन्ति आचष्टे अदादिगण की धातुयें परस्मैपदी आत्मनेपदी उभयपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी उभयपदी उभयपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी उभयपदी उभयपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी शास्ति आदीधीते वेतीते ईड्स्तुतौ णु स्तुती स्तुञ् स्तुतौ ऊर्गुज् आच्छादने विद् ज्ञाने प्सा भक्षणे रा ला आदाने द्विष् अप्रीतौ नौति स्तौति, स्तुते प्रोणोंति, प्रोणुते वेत्ति प्साति राति, लाति द्वेष्टि एति दोग्धि, दुग्धे लेढि, लीढे इण् गतौ दुह प्रपूरणे लिह आस्वादने उष् दाहे विद् ज्ञाने जाग्र निदाक्षये वश कांती ख्या प्रकथने वेत्ति जागर्ति वष्टि ख्याति