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________________ हुआ। प्रवर्तन में तत्कालीन सांसद श्री जे० के० जैन का सराहनीय सहयोग समय-समय पर प्राप्त होता रहा। ज्ञानज्योति की हस्तिनापुर में अखण्ड स्थापना 1045 दिनों तक सारे भारतवर्ष में प्रवर्तन के बाद ज्ञानज्योति की अखण्ड स्थापना 28 अप्रैल 1985 को जम्बूद्वीप मैन गेट के ठीक सामने स्थाई तौर पर हस्तिनापुर में कर दी गई। यह स्थापना श्री जे० के० जैन, सांसद की अध्यक्षता में तत्कालीन रक्षामन्त्री, भारत सरकार श्री पी० वी० नरसिंहराव (वर्तमान प्रधानमंत्री) के कर कमलों से हुई थी। जम्बूद्वीप स्थल पर भव्य दीक्षायें पू० गणिनी आर्यिकारत्न श्री माताजी के शिष्य एवं शिष्याओं के दीक्षा समारोह भी जम्बूद्वीप स्थल पर समय-समय पर आयोजित किये गये हैं। सर्वप्रथम संघस्थ ब्र० श्री मोतीचन्द जैन, सनावद ( म० प्र०) की क्षुल्लक दीक्षा का कार्यक्रम 8 मार्च 1987 को समपन्न हुआ। यह दीक्षा आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज के कर कमलों से सम्पन्न हुई थी। दीक्षा के उपरान्त उनका नाम क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी रखा गया / . द्वितीय दीक्षा समारोह कु० माधुरी शास्त्री, जो कि पू० ज्ञानमती माताजी की शिष्या एवं / ' गृहस्थावस्था की लघु भगिनी हैं, उनकी दीक्षा 13 अगस्त 1989 को विशाल स्तर पर सम्पन्न हुई। गणिनी आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी के कर-कमलों से दीक्षा प्राप्त करके आर्यिका श्री 'चन्दनामती' नाम रखा गया। तृतीय दीक्षा ब्र० श्यामाबाई की. 15 अक्टूबर 1989 को सम्पन्न हुई। पू० गणिनी आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी के कर-कमलों से उन्हें क्षुल्लिका दीक्षा प्रदान करके क्षुल्लिका 'श्रद्धामती' नाम रखा गया। पंचम पंचकल्याणक एवं जम्बूद्वीप महामहोत्सव 3 मई से 7 मई 1990 तक जम्बूद्वीप स्थल पर अखिल भारतीय स्तर पर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव सम्पन्न हुआ। इस महोत्सव में इन्द्रध्वज के 458 जिनबिम्बों की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। __इसी शुभ अवसर पर पंचवर्षीय जम्बूद्वीप महामहोत्सव का आयोजन किया गया। यह आयोजन जम्बूद्वीप निर्माण के बाद प्रथम बार किया गया है तथा यह निश्चय किया गया कि प्रति पांच वर्ष में जम्बद्वीप महामहोत्सव का आयोजन विशाल स्तर पर आगामी वर्षों में होता रहेगा। इस महोत्सव में 4 मई 1990 को केन्द्रीय उद्योग मंत्री भारत सरकार श्री अजीतसिंह एवं 6 मई 1990 को उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री बी० सत्यनारायण रेड्डी मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। राज्यपाल महोदय के करकमलों से कमल मंदिर का उद्घाटन कार्यक्रम भी सम्पन्न हुआ। इस प्रकार दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान में विभिन्न बहुमुखी योजनायें चल रही हैं, जिनमें भारतवर्ष के समस्त दिगम्बर जैन समाज का सहयोग प्राप्त होता रहता है। कर्मयोगी बाल ब्र० रवीन्द्र कुमार जैन, अध्यक्ष : . दिगंबर जैन त्रिलोक शोध संस्थान जम्बूद्वीप, हस्तिनापुर (मेरठ) उ० प्र० (28)
SR No.004310
Book TitleKatantra Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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